यह अमीर परस्त एक और जन विरोधी बजट है
आम जनता की मांगों और जरूरतों को धता बताते हुए प्रस्तावित बजट आम जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने में बुरी तरह से विफल होने वाली प्रस्तावित आय और व्यय का एक विवरण मात्र है, जिसका एकमात्र उद्देश्य अति-अमीरों की सेवा करना है। सीटू की झारखंड राज्य कमेटी के महासचिव ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि 2022-23 के लिए संशोधित अनुमानों की तुलना में 2023-24 के लिए कुल सरकारी व्यय में वृद्धि मात्र 7 प्रतिशत है, जबकि इसी अवधि में (मुद्रास्फीति के साथ) जीडीपी में वृद्धि 10.5 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है।
सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सरकारी व्यय में कमी
इस प्रकार सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सरकारी व्यय में कमी आई है। अगर ब्याज भुगतान को हटा दिया जाए, तो यह खर्च पिछले साल के मुकाबले महज 5.4 फीसदी ज्यादा है। जब 4 प्रतिशत की अंतर्निहित मुद्रास्फीति दर और लगभग 1 प्रतिशत की जनसंख्या में वृद्धि का हिसाब लगाया जाता है, तो यह तथाकथित “जन-केंद्रित” बजट हमारी आबादी के विशाल बहुमत की आजीविका पर हमला है। इस पर उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु रखे हैं विचारार्थ, जो इस प्रकार हैं-
महत्वपूर्ण बिन्दु
प्रस्तावित बजट ही संकेत देता है कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था संकट की ओर बढ़ रही है, प्रस्तावित आय में 34% ऋण के माध्यम से जुटाने का प्रस्ताव है और प्रस्तावित बजट आवंटन में 20% ब्याज भुगतान के लिए रखा गया ।
सब्सिडी पर बजट आवंटन केवल 7% है, जबकि रक्षा के लिए बजट आवंटन में 8% है।
2022 23 में जो खर्च किया जा रहा है, उससे खाद्य उर्वरक और ईंधन पर सब्सिडी में 1.47 लाख करोड़ रुपये की कटौती की गई है।
पीएम आवास योजना में तथाकथित वृद्धि का दावा भी सिर्फ एक धोखा है, वास्तव में यह आवंटन में 66% की बढ़ोतरी नहीं है बल्कि यह संशोधित बजट अनुमानों से सिर्फ 3% अधिक है, जो कि वर्तमान मुद्रास्फीति दर से बहुत कम है।
मनरेगा के लिए आवंटित बजट मात्र 60000 करोड़
मनरेगा के लिए आवंटित बजट मात्र 60000 करोड़ है, जो पिछले वर्ष के आवंटन से 33% कम है।
आईसीडीएस आवंटन में केवल 291 करोड़ की वृद्धि की गई है, इस योजना के लिए वेतन और पेंशन फंड में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
तथाकथित आयकर राहत भी पुरानी और नई प्रणाली की शब्दजाल और जटिलता के तहत केवल एक धोखा है।
उन्होंने कहा कि बजट के पहले सीटू कुछ मांगें रखी थीं, इस बजट में उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया, इन तमाम मांगों को लेकर आने वाले दिनों में ब्लॉक से दिल्ली तक सभी स्तरों पर जुझारू आंदोलन किया जाएगा
मांगें
1) युवाओं को रोजगार देने के लिए आधारभूत परियोजनाओं में सार्वजनिक निवेश में बढ़ोतरी करो
2) नि:शुल्क 5 किलो अनाज देने के साथ – साथ अनुदानित दर पर 5 किलो अनाज भी दिए जाने की गारंटी करो
3) बढीं हुई मजदूरी की दर के साथ मनरेगा के लिए और ज्यादा फंड उपलब्ध कराओ
4) शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाया जाए।
5) कार्पोरेट घरानों को टैक्स में दी जा रही छूट वापस लो
5) बड़े अमीरों की आमदनी और उनकी स्थाई संपत्ति पर टैक्स बढाओ
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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