रूस-यूक्रेन का संकट एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ता दिख रहा है। यदि मामले का कोई शांतिपूर्ण समाधान नहीं निकला तो पूरी दुनिया पर इसके गंभीर परिणाम दिखाई पड़ेंगे। इससे पूरी दुनिया में ऊर्जा संकट गहरा सकता है। केवल एक दिन में क्रूड ऑयल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से 98 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई हैं जो आने वाले दिनों में और अधिक बढ़ सकती हैं। इससे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें एक बार फिर बेलगाम हो सकती हैं। वर्तमान में चल रहे चुनावों के कारण शायद कुछ दिनों के लिए तेल कीमतें न बढ़ें, लेकिन चुनाव बीतते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होना तय माना जा रहा है।
तेल कीमतें बढ़ने से आम उपभोक्ताओं की जेब पर भारी बोझ बढ़ेगा और इससे व्यापार भी प्रभावित होगा।
यह संकट केवल आम आदमी के लिए ही नहीं होगा, बल्कि इससे सरकार भी प्रभावित होगी।
रूस पूरी दुनिया में तेल-गैस का बड़ा उत्पादक है। यदि उस पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगते हैं तो इससे दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। दूसरी अर्थव्यवस्थाओं पर असर से भारत के निर्यात क्षेत्र पर संकट गहरा सकता है जो भारत के लिए अतिरिक्त समस्या का कारण बन सकता है।यह संकट केवल आम आदमी के लिए ही नहीं होगा, बल्कि इससे सरकार भी प्रभावित होगी। भारत ने वित्तीय घाटे को नियंत्रित रखने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। इस वर्ष राजकोषीय घाटा 6.9 फीसदी से कम करते हुए 6.4 फीसदी तक लाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन बदली स्थिति में सरकार के लिए घाटे को कम करना मुश्किल हो सकता है।
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