भारत सरकार के निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने सेबी के समक्ष जो मसौदा दिया है उसमें बताया गया है कि सरकार ‘एलआईसी’ के सिर्फ़ ‘पाँच प्रतिशत’ शेयर ही बेचेगी, यानी कंपनी के 31.6 करोड़ ‘इक्विटी’ शेयर.इसके ज़रिये सरकार ने 63 हज़ार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. मसौदे में उल्लेख किया गया है कि इन ‘इक्विटी’ शेयर का 10 फ़ीसदी हिस्सा बीमाधारकों के लिए आरक्षित किया जा रहा है.
इसके अलावा कुछ हिस्सा ‘एंकर’ निवेशकों के लिए भी सुरक्षित होगा जबकि जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों को भी इसमें छूट दिए जाने का प्रावधान होगा.सरकार को ये उम्मीद है किे दस प्रतिशत शेयर 29 करोड़ ‘पॉलिसी’ धारकों के लिए आरक्षित किया जाना ‘आईपीओ’ की सफलता के लिए बहुत फ़ायदेमंद हो सकता है.साथ ही 35 प्रतिशत शेयर को ‘रिटेल’ निवेशकर्ताओं के लिए भी आरक्षित किये जाने का प्रावधान है. एक शेयर की क़ीमत 4.7 रुपए रखी गई है.
एलआईसी के कर्मचारी संगठन सरकार के इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं.
एलआईसी में भारत सरकार की सौ प्रतिशत हिस्सेदारी है यानी सौ प्रतिशत शेयर.आईपीओ के जारी होने के बाद सरकार की एलआईसी में 95 प्रतिशत भागेदारी रह जाएगी . एलआईसी के कर्मचारी संगठन सरकार के इस फ़ैसले का विरोध कर रहे हैं और सभी श्रमिक संगठनों ने मिलकर आगामी 28 और 29 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया है.
1956 में राष्ट्रीयकृत हुई एलआईसी दशकों तक भारत की एकमात्र जीवन बीमा कंपनी बनी रही.वर्ष 2000 में बीमा के क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए एक बार फिर खोल दिया गया. लेकिन इसके बावजूद एलआईसी ही भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी बनी हुई है.एलआईसी के पास बीमा क्षेत्र का 75 प्रतिशत हिस्सा है. भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी पूरे विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी बीमा कंपनी है. लेकिन ‘एलआईसी’ की ख़ासियत है कि ये पूरी तरह से सरकारी है.
क़र्ज़ में डूबे ‘आईडीबीआई बैंक’ को उबारने में भी एलआईसी की अहम भूमिका रही.
श्रमिक संगठनों का कहना है कि अलग-अलग कंपनियों को वित्तीय संकट से उबारने के लिए एलआईसी के जो पैसे लगाए जाते हैं उसके अलावा सरकार को एलआईसी से 10, 500 करोड़ रुपये सिर्फ़ टैक्स के ज़रिये पिछले वित्तीय वर्ष में मिले हैं जबकि 2889 करोड़ रुपये ‘डिविडेंड’ के ज़रिये मिले हैं.संगठनों ने जो प्रतिवेदन दिया है उसमें दावा किया कि इसके अलावा लगभग 36 लाख करोड़ रूपए विभिन्न विकास परियोजनाओं में लगे हुए हैं वहीं एलआईसी की अपनी संपत्ति 38 लाख करोड़ रूपए के आसपास है.मिसाल के तौर पर वर्ष 2015 में जब ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ओएनजीसी) ने अपना आईपीओ जारी किया था तो एलआईसी के 1.4 अरब डॉलर उसमें लगाए गए.उसी तरह क़र्ज़ में डूबे ‘आईडीबीआई बैंक’ को उबारने में भी एलआईसी की अहम भूमिका रही.
सरकार को एलआईसी से 10, 500 करोड़ रुपये सिर्फ़ टैक्स के ज़रिये पिछले वित्तीय वर्ष में मिले हैं.
श्रमिक संगठनों ने अपने प्रतिवेदन में ये भी ये भी बताया है कि वर्ष 2020 मार्च महीने तक विभिन्न विद्युत् परियोजनाओं में एलआईसी के 24803 करोड़ रुपये लगाए गए हैं, आवासीय परियोजनाओं में 9241 करोड़ रुपये लगाए हैं जबकि विभिन्न आधारभूत संरचनाओं को विकसित करने की परियोजनाओं में 18253 करोड़ रुपये निवेश किए हैं. पहले बीमाधारकों को फायदा पहुँचाने का काम एलआईसी करती थी, अब वो बदल जाएगा और अब निवेशकों को फ़ायदा पहुंचाने पर फोकस किया जाएगा. वो आरोप लगाते हुए कहते हैं कि अब बीमा क्षेत्र में निजी कंपनियों का दबाव बढ़ना शुरू हो जाएगा.वो कहते हैं कि जो कुछ सरकार कर रही है उससे एलआईसी के ‘निजीकरण का मार्ग प्रशस्त’ हो रहा है.
Also Read:आज गूगल के साथ हुआ समझौता: एकेडमिक कार्यों में फाइलों का झंझट होगा दूरी
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!