मुंबई में बैठे हैं इनके गिरोह के सदस्य
राज्य के राजसमन्द में ICICI Bank में फर्जी खाते खुलवाकर इनसे देशभर में 500 करोड़ रुपए की ऑनलाइन ठगी का मामला सामने आया है. पुलिस ने इस मामले में ठगी के गिरोह से जुड़े 5 आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है. जब कोर्ट में मामला पहुंचा, तो कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच उच्च स्तरीय एजेंसी से कराने के आदेश दिए हैं.
मामला एक दिन के अपराध का नहीं-कोर्ट
कोर्ट ने मामला एक दिन के अपराध का न होकर लगातार अपराध का माना है. फिलहाल राजसमन्द एसपी सुधीर चौधरी ने जांच संभाग स्तर की साइबर अपराध शाखा के प्रभारी डीएसपी विवेक सिंह को दी है. विदित हो कि राजसमन्द राजनगर पुलिस ने 16 अप्रैल को इस मामले का खुलासा किया था, जिसमें अब तक हुए अनुसंधान में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया और करीब 500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी सामने आई है.
अनुसंधान में बैंकिंग और साइबर अपराध के विशेषज्ञों की जरूरत -कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि करोड़ों की ठगी का ये मामला नियमित अपराध का नहीं है, बल्कि इसे संगठित तरीके से नवीनतम साइबर तकनीकों और तरीकों का उपयोग कर बैकिंग का दुरुपयोग कर अंजाम दिया जा रहा है. ऐसे अपराधियों के तौर तरीकों को समझने के लिए अनुसंधान में बैंकिंग और साइबर अपराध के विशेषज्ञों की जरूरत है. वर्तमान जांच अधिकारी एएसआई हैं जो अदालत को मामले की जांच की अपनी रणनीति में सक्षम नहीं हैं. पुलिस महानिदेशक से परामर्श कर राज्य या राष्ट्रीय स्तर की जांच एजेंसी से जांच करवाएं.
ठगी करने के तरीके
अभियुक्त लोन लेने वाले जरूरतमंद लोगों को निशाना बनाते थे. उन्हें सस्ते ब्याज पर ऋण स्वीकृत करवाने का प्रलोभन देते थे. झांसे में आने के बाद ये लोग इनको अपने साथ बैंक में लेकर जाते थे और बैंक फार्म स्वयं ही भरकर अपने साथियों के बताए अनुसार उन बैंक खातों में मोबाइल नंबर जुड़वाते थे. बैंक पास बुक, चेक बुक, एटीएम कार्ड कुरियर के माध्यम से आने पर बैंक खातें में लिंक नंबर पर कॉल आती, तो ठग बताए गए पते पर उसे प्राप्त कर लेते थे. इसके बाद बैंक पास बुक, चेक बुक, एटीएम कार्ड पार्सल के जरिए मुंबई भिजवा देते. मुंबई में बैठे इनके गिरोह के सदस्य दस्तावेज रिसीव कर लेते थे. फिर फर्जी ऑनलाईन लॉटरी एप, गेम एप, ऋण एप से देशभर के लोगों से ठगी करते और फर्जी बनाए बैंक खातों में राशि डलवा देते थे ताकि पुलिस इन तक ना पहुंच सके.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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