बिहार से एक ऐसा स्कूल का मामला सामने आया है जहाँ स्कूल में पढाई से ज्यादा स्कूल कबूतर खाना बन गया है. बिहार में पढ़ाई की सूरत कब सुधरेगी ये खुद भगवान भी नहीं बता सकते जबकि राज्य में स्कूल और कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था मोटा-मोटी भगवान भरोसे ही चल रही है। राज्य की राजधानी पटना के दिल में बसे कंकड़बाग में एक स्कूल कैंपस है जिसमें सात स्कूल चलते हैं। दो हाई स्कूल और पांच मिडिल स्कूल। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि पांच मिडिल स्कूल का मकान एक ही है जिसमें कुल जमा आठ कमरे हैं। प्रधानाध्यापकों की संख्या पांच से घटकर एक हो जाए और फिर बाकी 7 कमरों में पढ़ाई का काम चल सके।
बुधवार को शिक्षा विभाग की क्षेत्रीय उप-निदेशक सुनयना कुमारी औचक निरीक्षण में जब रघुनाथ बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंची तो उनका सिर ही चकरा गया। निरीक्षण के बाद उन्होंने कहा कि जब जगह नहीं है तो बच्चे कैसे पढ़ाई करेंगे। ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे संभव है। उन्होंने इन पांचों स्कूलों की रिपोर्ट तैयार कर अपर मुख्य सचिव, माध्यमिक निदेशक, प्राथमिक निदेशक और पटना डीईओ को भेजा है। इसमें आरडीडीई ने स्पष्ट कहा है कि इन पांचों स्कूलों को एक कर दिया जाए तो स्कूल में पढ़ाई अच्छे से हो पाएगा। इसके बाद प्रधानाध्यापक का एक कक्षा होगा और बाकी कमरों में पढ़ाई होगी। राज्य में मध्य विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 की पढ़ाई होती है। इस हिसाब से पांच मिडिल स्कूल के टोटल क्लास बने 40।
बचे सिर्फ 3 कमरे
अब जो 8 कमरे हैं उसमें पांच मध्य विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने अपना-अपना चैंबर बनाकर पांच कमरे निपटा दिए हैं। बचे तीन कमरे में पांच स्कूलों के 40 क्लास के कुल 944 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। और स्कूल के शिक्षक ब्रेक कहां लेते होंगे, ये एक अलग ब्रह्म-सवाल है। अब इसे स्कूल कहा जाए या कबूतरखाना, आप ही तय कर लीजिए। आरडीडीई ने कहा कि अव्यवस्था के कारण कन्या मध्य विद्यालय, वीरचंद में अप्रैल से मध्याह्न भोजन नहीं बन पा रहा है।
31 मार्च को पूर्व प्राचार्य के सेवानिवृत होने पर शिक्षक राजेश कुमार को प्रभार मिला। विभाग ने तारकेश्वर शर्मा को प्रभारी प्राचार्य बना दिया। लेकिन राजेश कुमार अभी तक प्रभार नहीं दिए हैं जिससे स्कूल में बच्चों का मध्याह्न भोजन बंद है। और ये सब बात किसी विपक्षी नेता का आरोप नहीं है। ये सारे तथ्य शिक्षा विभाग की क्षेत्रीय उप निदेशक की जांच रिपोर्ट में हैं। उप-निदेशक ने सरकार से सिफारिश की है कि पांच मिडिल स्कूल को मिलाकर एक स्कूल बना दिया जाए. लेकिन होने के बाद भी न पढाई का पता है और न ही शिक्षक का.
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