झारखंड की राजधानी रांची के ग्रामीण इलाकों सहित पांच जिलों के लिए ढाई दशक से भी अधिक समय से आतंक का पर्याय रहे जयनाथ साहू ने रांची की अदालत में सरेंडर कर दिया है।जयनाथ ने झारखंड बनने के पहले से सम्राट नामक गैंग बना रखा था।उसपर हत्या, रंगदारी वसूली, डकैती के 90 से भी ज्यादा मामले दर्ज हैं।ढाई दशकों में वह पांच-छह जिलों की पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था।
उसके गिरोह के ज्यादातर सदस्यों को पुलिस ने या तो गिरफ्तार कर लिया था या फिर मुठभेड़ में मार गिराया थ।इस वजह से पिछले चार-पांच वर्षों से उसके आतंक राज का लगभग खात्मा हो गया था, लेकिन इसके बावजूद सम्राट गिरोह का मुखिया जयनाथ पुलिस की पकड़ से दूर था।यहां तक कि पुलिस के पास उसकी कोई हालिया तस्वीर भी नहीं थी।जयनाथ रांची जिले के लापुंग का रहने वाला है।
एक वक्त में जयनाथ साहू को रंगदारी दिये बगैर खूंटी, सिमडेगा, गुमला और रांची के ग्रामीण इलाकों में किसी के लिए कारोबार तक करना संभव नहीं था।गिरोह के पास कई आधुनिक हथियार हुआ करते थे।गिरोह के लोग वारदात को अंजाम देने के बाद ऐसे जंगली और पहाड़ी गांवों में पनाह लेते थे, जहां तक जाने के लिए सड़कें तक नहीं थीं।
वर्ष 2000 में सम्राट गिरोह के समानांतर झारखंड लिबरेशन टाइगर नामक आपराधिक गिरोह बना, जिसे अब पीएलएफआई (पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया) नामक प्रतिबंधित संगठन के रूप में जाना जाता है।वर्चस्व को लेकर इन दोनों गिरोहों के बीच खूंटी से लेकर रांची तक कई बार खूनी टकराव हुए।दोनों ओर से कई लोग मारे भी गये।गिरोह के लोगों के मारे जाने से सम्राट गिरोह हाल के वर्षों में कमजोर पड़ गया था।
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