जमशेदपुर से एक बड़ी बात सामने आ रही है, जहाँ भटके बच्चों के बारे में एक जरुरी खबर है. टाटानगर स्टेशन के स्टॉल संचालक ट्रेन में परिजनों से भटके बच्चों की सूचना अब रेलवे चाइल्ड लाइन को दिया करेंगे। गुरुवार को स्टेशन निदेशक रघुवंश कुमार के नेतृत्व में आयोजित रेलवे चाइल्ड लाइन की बैठक में यह आदेश हुआ है। भारत मे बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था चाइल्ड लाइन, आज देश के सभी प्रदेश के जिला में काम कर रही है. जिसके तहत प्रतिमाह भटके हुए सैकड़ों बच्चों को पहचान कर उनके घर तक पहुंचाया जाता है. बच्चों को रेस्क्यू कर उनके घर तक पहुंचाना चाइल्ड लाइन के सदस्यों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होती है.
अकेले बच्चे को देखे तो आरपीएफ या रेलवे चाइल्ड लाइन को जरूर बताएं
जमशेदपुर के टाटानगर रेलवे स्टेशन में स्थापित चाइल्ड लाइन पिछले 3 वर्षों से स्टेशन क्षेत्र में 700 से ज्यादा बच्चों का रेस्क्यू किया. जिनमें कई बच्चों को उनके घर पहुंचाया, कई आवासीय विद्यालय में पढ़ाई कर रहे हैं. स्टॉल संचालकों को कहा गया है कि प्लेटफार्म पर जब ज्यादा देर तक किसी अकेले बच्चे को देखे तो आरपीएफ या रेलवे चाइल्ड लाइन को जरूर बताएं। स्टेशन के सफाई कर्मचारियों एवं लाइसेंसी कुलियों से भी रेलवे चाइल्डलाइन ने बच्चों की खोज में मदद लेती है।
बैठक में स्टेशन अधीक्षक ओपी शर्मा, वाणिज्य उपाधीक्षक एसके सिंह, चाइल्ड लाइन की संयोजिका अरविंदा के अलावा जीआरपी व आरपीएफ पदाधिकारी शामिल थे। आरपीएफ ने स्टॉल संचालकों से बाल सुरक्षा एवं ह्यूमन ट्रैफिकिंग रोकने के लिए सुरक्षा नंबर 139 या फिर रेलवे चाइल्ड लाइन की हेल्प लाइन नंबर 1098 पर फोन करने का सुझाव दिया। जिससे बच्चों की काउंसलिंग कर उसे परिजनों के पास पहुंचाया जा सके। ये बहुत अच्छी शुरुआत है भटके बच्चों को उनके घर तक पहुँचाना का.
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