भारतीय प्रशासनिक सेवा की वरिष्ठ अधिकारी पूजा सिंघल की गिरफ्तारी मनरेगा से संबंधित घोटालों में हुई है, घोटाले को लेकर वर्ष 2012 में विधानसभा में पूछे गए सवालों पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि उत्तर में घोटाले को स्वीकार करते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई का भरोसा दिलाया गया है। लेकिन वक्त के साथ घोटाले की पूरी पटकथा पलट गई।
27 फरवरी, 2017 को कार्मिक विभाग ने संकल्प जारी कर आइएएस पूजा सिंघल को घोटाले के आरोपों से क्लीनचिट दे दी थी। उनसे जुड़े मामलों की जांच के लिए राज्य सरकार के तत्कालीन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के प्रधान सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह की रिपोर्ट का हवाला दिया गया। जबकि खूंटी की तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल के खिलाफ गंभीर आरोपों की फेहरिश्त थी। इस बाबत 16 मार्च, 2011 को विधायक विनोद कुमार सिंह की ध्यानाकर्षण सूचना पर सरकार ने जवाब दिया कि पूजा सिंघल के खिलाफ मनरेगा अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में बरती गई वित्तीय अनियमितता के संदर्भ में उनके विरुद्ध प्रपत्र क गठित कर प्रधान सचिव, ग्रामीण विकास विभाग को आयुक्त, दक्षिण छोटानागपुर के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है।
चतरा में एनजीओ को करोड़ों का अग्रिम भुगतान
ईडी को चतरा में पूजा सिंघल की बतौर उपायुक्त तैनाती के दौरान भारी नकदी के लेन-देन के पुख्ता सबूत मिले हैं। इसकी पुष्टि भी विधानसभा में उस वक्त पूछे गए सवालों पर सरकार के उत्तर से होती है। 13 मार्च 2012 को विधानसभा में विधायक विनोद कुमार सिंह द्वारा पूछे गए सवालों पर ग्रामीण विकास विभाग ने स्वीकार किया है कि पूजा सिंघल द्वारा एनजीओ वेलफेयर प्वायंट को 15 फरवरी 2008 को चार करोड़ रुपये और एनजीओ प्रेरणा निकेतन को 14 मई 2008 को दो करोड़ रुपये अग्रिम का भुगतान कर दिया गया। दोनों एनजीओ के खाते के संचालन पर रोक लगाई गई थी।
चार सितंबर 2012 को तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री सुदेश कुमार महतो ने घोटाले से संबंधित पूछे गए सवालों पर जवाब देते हुए स्वीकारा था कि प्रेरणा निकेतन और वेलफेयर प्वायंट को आवंटन एवं कार्य में अनियमितता की जांच आयुक्त, उत्तरी छोटानागपुर द्वारा मार्च, 2012 में की गई थी। जांच रिपोर्ट में कार्य आवंटन एवं कार्यान्वयन में अनियमितता की पुष्टि हुई है। तत्कालीन मंत्री ने बताया था कि पूजा सिंघल सहित अन्य को चिन्हित करते हुए विभागीय कार्यवाही के लिए आरोप गठित कर दस दिनों के भीतर साक्ष्य के साथ आरोपपत्र की मांग आयुक्त, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल से की गई है।
खूंटी में क्या आरोप थे पूजा सिंघल के खिलाफ
पूर्व के अग्रिम कुल 15.72 करोड़ रुपये के समायोजन के बिना ही विभिन्न तिथियों में 10.05 करोड़ का अग्रिम देना निलंबित कनीय अभियंता विनोद प्रसाद सिन्हा से काम लेना।मनरेगा के दिशानिर्देश की अवहेलना और पद का दुरुपयोग करना , एक ही कार्य विभाग को कार्य देना, इसके संदर्भ में गबन के मामले में 16 प्राथमिकी दर्ज की गई।
पूजा सिंघल का प्रभाव या आभामंडल कहिए, उनसे संबंधित सवाल जब विधानसभा के पटल पर आते थे तो किसी न किसी बहाने से हंगामा आरंभ हो जाता था। इससे पूरक प्रश्न उठाने में परेशानी आई। यह अनुभव है बगोदर के भाकपा माले विधायक विनोद कुमार सिंह का। उनके मुताबिक यही सच्चाई है कि भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को बचाने वाली बड़ी जमात यहां है। कमेटी ने भी स्थल परीक्षण किया और कार्रवाई की अनुशंसा की, लेकिन सबकुछ ठंडे बस्ते में चला गया।
ईडी की छापेमारी में पूजा सिंघल द्वारा अंजाम दिए गए घोटाले को लेकर पुख्ता सबूत मिले हैं। ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। इससे 2017 में उन्हें दी गई क्लीनचिट पर सवाल उठ रहे हैं। जांच एजेंसियां इस सिलसिले में पूछताछ कर सकती हैं। इसकी जद में वह तमाम अधिकारी आ सकते हैं, जिन्होंने पूजा सिंघल को क्लीनचिट दी थी।
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