महिला और बाल विकास मंत्रालय ने राज्यसभा में माकपा सांसद झरना दास बैद्य के सवाल के जवाब में यह जानकारी साझा कि की राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उसमे भी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 49,385 मामले सामने आए, इसके बाद पश्चिम बंगाल (36,439), राजस्थान (34,535), महाराष्ट्र (31,954) और मध्य प्रदेश (25,640) मामले सामने आये हैं।
सरकार ने (एनसीआरबी) यानी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए बुधवार को संसद को कुछ ऐसा बताया जिसे सुनकर शायद आपको भी झटका लगे। पिछले साल देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के कुल 371,503 मामले दर्ज किए गए थे। मीडिया रिपोर्ट अमर उजाला के मुताबिक इन सब मामलों में महिलाओं के साथ बलात्कार, महिला की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, दहेज हत्या, उत्पीड़न, एसिड हमले और अपहरण के मामले शामिल हैं।
आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में, महिलाओं के खिलाफ अपराधों के संबंध में 3 9 8,620 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, 488,143 चार्ज-शीट दायर की गई और 31,402 को दोषी ठहराया गया। इसके अलावा, शहरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध पिछले वर्ष की तुलना में 2020 में 8.3% घट गए।
इस तरह के अपराधों के पीड़ितों को न्याय सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पूछे जाने पर मंत्रालय ने कहा, “केंद्र सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और इस संबंध में विभिन्न विधायी और योजनाबद्ध हस्तक्षेप किए हैं।” इसने यह भी बताया कि पुलिस और सार्वजनिक आदेश राज्य विषय हैं।
सरकार ने दिया जवाब
सरकार और सितंबर में जारी एनसीआरबी की रिपोर्ट के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों के अधिकांश मामले जबरन बदसलूकी के लिए महिलाओं पर हमले (19.7 फीसदी), इडके बाद पति या उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता (30.2 फीसदी) के तहत दर्ज किए गए थे, बलात्कार (7.2 फीसदी) के तहत मामले दर्ज किए गए थे और महिलाओं का अपहरण और बंधक बनाना (19.0 फीसदी) है।
मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने जांच की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक उपकरण (यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग प्रणाली) अलग-अलग यौन अपराधियों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया गया है।
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