
फाइलेरिया दुनिया भर में विकलांगता और विरूपता बढ़ाने वाला सबसे बड़ा रोग है। यह एक पैरासाइट डिजिट है जो कि धागे के समान दिखाई देने वाले निमेटोड कीड़ों के शरीर में प्रवेश करने की वजह से होती है। निमेटोड कीड़े परजीवी मच्छरों की प्रजातियों और खून चूसने वाले कीटों के जरिए इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। इन निमेटोड कीड़ों में फिलेरी वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी, ब्रूगिआ मलाई और ब्रूगिआ टिमोरि शामिल है। फाइलेरिया मुख्य रूप से वुचरेरिअ बैंक्रोफ्टी परजीवी कीड़े की वजह से होता है। दुनिया भर में फाइलेरिया मुख्य रूप से गरीब लोगों और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है. जमशेदपुर में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर 16 से 30 सितंबर तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन प्रोग्राम चलाया जाएगा.
17 से 30 सितंबर तक घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी
शहरी और पटमदा इलाके में पहले दिन बूथ पर लोगों को फाइलेरिया की दवा दी जाएगी। इसके लिए माइक्रो प्लान बनाकर काम करने को कहा गया है। घर-घर जाने वाली टीम के द्वारा लोगों के हाथ में दवा न देकर उन्हें खिलाना है। शहरी इलाके में कॉलोनी में रहने वाले लोग दवा खाने से परहेज करते हैं। इसके बाद 17 से 30 सितंबर तक घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी। अभियान को लेकर मलेरिया विभाग के कर्मियों को ट्रेनिंग दी गई।
अभियान में हर किसी को फाइलेरिया की दवा खिलाई जानी है। इससे कोई वंचित न रहे, इसे सुनिश्चित करने को कहा गया है। फाइलेरिया को फीलपाँव, श्लीपद के नाम से जाना जाता है। भारत में इसे सामान्य तौर पर हाथी पाँव के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस रोग में व्यक्ति का पाँव हाथी के पाँव की तरह हो जाता है। भारत सरकार का भारतीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस रोग से लड़ने वालों के लिए मुफ्त उपचार प्रदान करता हैं। अकेले भारत में ही करोड़ों लोगों को फाइलेरिया होने का जोखिम हैं।

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