‘लोकल सर्कल्स’ की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि पिछले तीन सालों में 42 फीसदी भारतीयों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी हुई. जिन लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई उनमें से 74 फीसदी लोग पैसे वापस पाने में विफल रहे.
वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा बढ़ा
अधिक से अधिक लोग पैसे भेजने के लिए डिजिटल मोड का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसी के साथ वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ रहा है. लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक लगभग 42 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि वे या उनके परिवार में कोई व्यक्ति पिछले तीन वर्षों में वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुआ है.
नहीं मिला वापस पैसा
सर्वेक्षण में कहा गया है कि ठगी के शिकार लोगों में से 74 फीसदी ने कहा है कि उन्हें उनका पैसा वापस नहीं मिला.
17 फीसदी को वापस मिला पैसा
सर्वेक्षण में पाया गया कि पिछले 3 वर्षों में बैंकिंग धोखाधड़ी में अपना पैसा गंवाने वालों में से केवल 17 प्रतिशत ही अपना पैसा वापस पाने में सक्षम थे. बाकी 74 फीसदी लोगों का पैसा फंस गया.
साझा करते अहम जानकारी
सर्वेक्षण से पता चला है कि 29 प्रतिशत लोग अपने एटीएम या डेबिट कार्ड पिन विवरण करीबी परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं, जबकि 4 प्रतिशत इसे अपने घरेलू और कार्यालय कर्मचारियों के साथ साझा करते हैं. सर्वे ने यह भी दिखाया कि 33 प्रतिशत लोग अपने बैंक खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड और एटीएम पासवर्ड, आधार और पैन नंबर ईमेल या कंप्यूटर में रखते हैं.
60,414 करोड़ की धोखाधड़ी
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक 2021-22 में 60,414 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी. हालांकि ऐसा अनुमान है कि कई मामले की रिपोर्ट नहीं की गई होगी. माइक्रोसॉफ्ट 2021 ग्लोबल टेक सपोर्ट स्कैम रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उपभोक्ताओं ने 2021 में 69 प्रतिशत की ऑनलाइन धोखाधड़ी की उच्च दर का अनुभव किया.
सर्वे में कौन शामिल
सर्वे में 301 जिलों के 32 हजार लोगों ने हिस्सा लिया. उनमें 62 प्रतिशत पुरुष और 38 फीसदी महिलाएं थीं.
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