दिल्ली में एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है। 26 साल के युवक ने अपनी गर्लफ्रेंड को 35 टुकड़ों में काट डाला। इसके बाद शरीर के टुकड़ों को उसने दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में फेंक दिया। आफताब अमीन पूनावाला और श्रद्धा की लव स्टोरी अचानक से क्राइम स्टोरी में तब्दील हो गई। श्रद्धा की लाश को ठिकाने लगाने के लिए उसने कुछ वैसा ही प्लान बनाया जैसा ‘द फैमिली मैन’ वेब सीरीज में सामंथा रुथ प्रभु के किरदार राज़ी ने बनाया था। वह हर दिन सामंथा की ही तरह लाश के टुकड़े लेकर जंगल में जाकर फेंकता रहा। अपराध की दुनिया से प्रभावित होकर बनी फिल्में और वेब सीरीज तो आपने खूब देखी होंगी, लेकिन इस बार ऐसा लग रहा है कि मामला उल्टा है।
इसके साथ ही कुछ पुराने मर्डर केसेज याद आ गए, जिन्होंने हर किसी को बेचैन कर दिया। आइए एक नजर डालते हैं कुछ पुराने क्राइम केसेज पर…
तंदूर कांड
दो जुलाई, 1995 में नैना साहनी को उसके पति सुशील शर्मा ने मार डाला। सुशील शर्मा कांग्रेस का युवा नेता और दिल्ली में विधायक था। सुशील को नैना के मतलूब खान से रिश्तों पर ऐतराज था। मतलूब और नैना एक-दूसरे को स्कूल के दिनों से जानते थे। घटना के दिन सुशील ने नैना को मतलूब से फोन पर बात करते हुए देख लिया था। वह गुस्से से भर उठा और नैना को गोली मार दी। इसके बाद वह नैना की बॉडी लेकर एक रेस्टोरेंट में गया और वहां के मैनेजर के साथ मिलकर बॉडी ठिकाने लगाने की सोची। बॉडी को राख में तब्दील करने के मकसद से तंदूर में रख दिया गया। बाद में पुलिस ने रेस्टोरेंट मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शर्मा भागने में कामयाब रहा। बाद में उसने आत्मसमर्पण कर दिया।
बेलारानी दत्ता मर्डर केस
बात 31 जनवरी, 1954 की है। कोलकाता में एक स्वीपर ने टॉयलेट के पास अखबार में लिपटा पैकेट देखा। उसने अखबार पर खून के छींटे देखे और इंसानी अंगुली भी देखी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। घटना का जो खुलासा हुआ, उससे हर कोई हैरान रह गया। बीरेन नाम के एक युवक का बेलारानी और मीरा नाम की महिलाओं से संबंध था। वह दोहरी जिंदगी जी रहा था। मिलने में देरी होती तो दोनों महिलाएं उससे सवाल पूछती थीं और बीरेन परेशान हो जाता था।
इसी बीच बेलारानी ने बीरेन को बताया कि वह प्रेग्नेंट है। इसके बाद बीरेन ने उसे मार डाला और उसके शरीर को टुकड़ों में काट डाला। इसके बाद उसने उस घर की आलमारी में शरीर के टुकड़ों को रख दिया और दो दिन तक सोता रहा। बाद में उसने बेलारानी के शरीर के टुकड़ों को शहर के अलग-अलग हिस्सों में फेंक दिया। मामले में दोषी पाए जाने पर बीरेन को फांसी की सजा मिली थी।
आरुषि मर्डर
यह मामला 13 साल की छात्रा आरुषि तलवार की हत्या का है। 15 मई, 2008 को आरुषि का शव उसके नोएडा स्थित घर के कमरे में पाया गया। उसका गला कटा हुआ था। शुरुआत में इस मामले में शक 45 साल के नौकर हेमराज पर गहराया जो उस तलवार के घर में नौकर था। लेकिन घटना में सनसनीखेज मोड़ तब आया जब दो दिन के बाद हेमराज का शव भी घर की छत पर मिला। आरुषि मर्डर केस में जांच के रवैये पर यूपी पुलिस की काफी आलोचना हुई और बाद में जांच सीबीआई को सौंपी गई। मामले में आरुषि के माता-पिता डॉक्टर राजेश तलवार और डॉक्टर नूपुर तलवार से पूछताछ की गई। उन्हें मुख्य अभियुक्त माना गया। नवंबर 2013 में दोनों को आजीवन कैद की सजा सुनाई गई। हालांकि बाद में 2017 में उन्हें छोड़ दिया गया।
निठारी कांड
एक ऐसा ही केस था निठारी मर्डर कांड। यह सीरियल मर्डर केस अंजाम दिया गया था व्यापारी मोनिंदर सिंह पंढेर के नोएडा स्थित सेक्टर-31 स्थित घर में। यूपी के निठारी गांव के नजदीक स्थित इस घर में 2005 से 2006 के बीच इन हत्याओं को अंजाम दिया गया था। यह मामला तब उजागर हुआ जब निठारी गांव से एक लड़का, लड़की और एक किशोर गायब हो गए। पता चला कि इन बच्चों का यौन शोषण होता था और इसके बाद मर्डर किया गया।
मोनिंदर को उसके खिलाफ पांच में से दो केसेज और उसके नौकर सुरिंदर कोली को 16 में से 10 केसेज में दोषी पाया गया। दोनों को मौत की सजा सुनाई गई। कोली ने स्वीकार किया कि उसने नौ लड़कियों, दो लड़कों और पांच महिलाओं को बहला-फुसलाकर घर में बुलाया था। इसके बाद कोली ने उनकी हत्या कर दी और मृत शरीर के साथ सेक्स की कोशिश की। बाद में शवों के टुकड़े कर डाले। कुछ हिस्सों को खाया और बाकी को बंगले के पीछे नाली में डाल दिया।
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