बिहार का एक मज़दूर जब बस से यात्रा कर रहा था ठीक उसी समय उसकी बेटी का हाजीपुर के कोनहरा घाट पर अंतिम संस्कार किया जा रहा था। वो अंतिम बार अपनी बेटी का चेहरा भी नहीं देख सका ।
आईए जाने क्या है मामला?
ये मामला वैशाली ज़िले की तिसिऔता थाना क्षेत्र के शाहपुर गांव का है। मृतक युवती के पिता पंजाब में मज़दूरी करते हैं, मां भी शाहपुर में खेतिहर मज़दूर हैं।
एक भाई और तीन बहनों में मँझली बहन ने सरकारी स्कूल में नौवीं तक की पढ़ाई की थी। घर वालों के मुताबिक आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने के कारण वो दसवीं कक्षा में दाख़िला नहीं ले सकी।
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क्या कहना है परिवार वालों का?
इस पूरे मामले पर युवती की भाभी और बहन ने बताया कि 20 दिसंबर की शाम को रचना शौच के लिए अपने घर से तकरीबन 500 मीटर दूर खेत पर गई थी। लेकिन जब वो बहुत देर तक नहीं लौटी तो परिवार के सदस्य उसे ढूंढते हुए खेत में गए जहां उन्हें शौच में इस्तेमाल होने वाला लोटा मिला।
इसके बाद परिवार के लोग उसे रात भर ढूंढते रहे, लेकिन वो नहीं मिली। परिवार वालों ने बताया सुबह उन्होंने बिझरौली पंचायत के ही एक लड़के को फोन किया। जिस पर उसने कहा कि केस मत करिएगा, हम लड़की को वापस दे देंगे। अगर केस कीजिएगा तो वापस आकर सबको खत्म कर देंगे। वो ऐसे ही वक्त बढ़ाता रहा और बाद में तो लड़की की लाश ही मिली।
स्थानीय महिलाओं ने लड़की का शव नहर के पास देखा
युवती के ग़ायब होने के बाद 26 दिसंबर की सुबह तकरीबन 11 बजे स्थानीय महिलाएं जब बकरी चराने गांव की नहर के पास गईं तो उन्होंने शव देखा, और उन्होंने परिवार को बताया।
परिवार ने अपनी बेटी के शव को पहचानते हुए बहुत देर तक सड़क पर उसका शव रखकर प्रदर्शन किया। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से सदर अस्पताल, हाजीपुर में पोस्टमार्टम कराके परिवार को शव सौंपा गया।
एफ़आईआर में क्या लिखा है?
इस मामले में मृतक रचना की मां की शिकायत के बाद एफ़आईआर दर्ज की गई है। जिसमें मनोज चौधरी, राकेश चौधरी समेत 4 लोग नामज़द हैं जबकि 5 से 6 अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। हालांकि इस शिकायत में जो लिखा है और घर की महिलाएं जो बता रही हैं, उसमें फ़र्क है।
एफ़आईआर में ये लिखा हुआ है कि, “बच्ची का अपहरण करके ले जाते वक्त बच्ची ने हल्ला मचाया। जिसके बाद हम लोग वहां पहुंचे तो अभियुक्त धक्का-मुक्की करते, गालियां देते और जान से मारने की धमकी देते हुए पिस्टल लहराते हुए बच्ची को लेकर चले गए।”
सभी अभियुक्त अबतक फ़रार
इस मामले में सभी नामज़द अभियुक्त फ़रार हैं। एक अभियुक्त जो 11वीं कक्षा का छात्र बताया जा रहा है, उसके पिता राकेश चौधरी को भी नामज़द अभियुक्त बनाया गया है। वैशाली की बिझरौली पंचायत की मुख्य सड़क पर स्थित उनके घर पर ताला लगा है। राकेश चौधरी के घर में दुकानें भी हैं जो किराए पर उठी हुई हैं।
शव पर चोट के निशान
तिसिऔता थाने के एएसआई गोविन्द चौधरी शव मिलने के समय घटनास्थल पर मौजूद थे, वो बताते हैं, “लाश को देखकर लगता है कि वो तीन दिन पुरानी रही होगी।” वहीं ट्रेनी एसआई आकांक्षा तिवारी बताती हैं, “लड़की के गले पर चोट के निशान थे।”
युवती जब 20 दिसंबर को ग़ायब हुई तो इसकी सूचना थाने में क्यों नहीं दी गई?
वैशाली के पुलिस अधीक्षक मनीष ने भी बीबीसी से बातचीत में इस पक्ष को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, “मामले में जांच चल रही है। मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है जो इस बात की जांच करेगा कि मृतका के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ है या नहीं?”
वहीं मृतका की मां ने बीबीसी से कहा, “इतनी धमकी के बीच कैसे थाने में शिकायत करते। हम तो बस चाहते थे कि हमारी बेटी सही सलामत वापस मिल जाए जिसका आश्वासन अभियुक्त देता रहा।”
डर के साए में गांव की महिलाएं
शाहपुर के जिस टोले में मृतका का घर था वहां तकरीबन 15 घर हैं। इन घरों के ज़्यादातर पुरुष दूसरे राज्यों में कमाने जाते हैं।ये पूरा टोला लंबे पसरे खेतों के नज़दीक है। लेकिन इन खेतों पर इस टोले के लोगों का हक़ नहीं है बल्कि वो खेतिहर मज़दूर हैं।
टोले की ही अन्य महिलाएँ बीबीसी से कहती हैं, “जिन घरों में बच्चियां है, वो लोग डर के रहेंगे। हम लोग छोटी जाति के हैं, ग़रीब हैं। बनिहार (खेतिहर मज़दूर) हैं, डर के रहना पड़ता है. कैसे आवाज़ उठाएंगे।”
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