जिस बेटी को इतने लाड़ प्यार से पाला, पढ़ाई कराई उसी बेटी के सीने में रिवाल्वर से गोली उतारने वाले पिता के हाथ-पैर बेटी को सूटकेस में लाने में कांप गए थे। हत्या के बाद माता-पिता शव के पास बैठकर 13 घंटे रोए थे। आनर किलिंग की ये कहानी सुलझाने में पुलिस को 48 घंटे लग गए। कई टीमों को इस मर्डर को हल करने के लिए लगाया गया था। एक छोटी की कड़ी से हत्याकांड का पर्दाफाश कर दिया। गोली मारने वाले पिता ने जब बेटी की चिता को मुखाग्नि दी तो खामोश रहे लेकिन मां फूट-फूटकर रोईं। मंगलवार को दोनों को जेल भेज दिया गया।
18 नवंबर: सर्विस रोड पर मिला था लाल रंग का ट्राली बैग
18 नवंबर की दोपहर में सर्विस रोड पर एक लाल रंग का ट्राली बैग (सूटकेस) पुलिस को मिला था। ट्राली बैग को खोला गया तब पालीथिन के अंदर पैक एक युवती का शव मिला था। युवती की लाश बैग में एक पालीथिन के अंदर पैक करके रखी थी। युवती के पैर मोड़कर उन्हें छाती से चिपका दिया गया और फिर बैग में पैक किया गया था। पुलिस ने जब बैग खोलकर युवती के पैर सीधे किए, तो वह आराम से सीधे हो गए, इससे लगता था कि उसकी हत्या 12 से 16 घंटे पहले की गई।
पुलिस ने उसकी खोजबीन शुरू की। आसपास के थानों और जिलों में तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की गईं। पुलिस युवती की खोजबीन कर रही थी। सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। कई टीमें नोएडा, दिल्ली-एनसीआर, अलीगढ़ और फरीदाबाद भेजी गईं। लापता युवतियों का डाटा चेक किया गया। लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा।
19 नवंबर: कानपुर देहात, अलीगढ़ के परिवार ने नहीं पहचाना शव
युवती का शव मिलने की सूचना पर कुछ लोगों ने पुलिस को फोन कर पहचान कराने की बात कही थी, इससे पुलिस को उम्मीद जागी थी। कानपुर देहात जिले से एक परिवार शनिवार सुबह थाने पहुंचा, यहां उसने शव देखा तो उनकी बेटी नहीं थी। उनकी बेटी 11 नवंबर से गायब है। इसलिए उन्हें ये अपनी बेटी होने की आशंका थी। वहीं अलीगढ़ से भी एक परिवार पहुंचा, लेकिन ये अलीगढ़ की भी युवती नहीं निकली। इसके अलावा पुलिस के पास कई अन्य जिलों से फोन भी आए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।
20 नवंबर: रविवार को लगा युवती की पहचान का सुराग
पुलिस के 24 घंटे ऐसे ही बीत गए। पुलिस को रविवार को पता चला कि युवती दिल्ली में बदरपुर क्षेत्र के मोलड़बंद की रहने वाली आयुषी यादव है। पुलिस युवती के घर पहुंची, तो पहले स्वजन ने फोटो देख युवती को पहचानने से इन्कार कर दिया। लेकिन युवती के छोटे भाई आयुष ने पहचाना। फिर पिता, मां और भाई को लेकर देर शाम पुलिस मथुरा आई। पिता को राया थाने में ही रोक लिया और मां और भाई को लेकर शव विच्छेदन गृह पहुंची, तो दोनों शव आयुषी यादव का ही होने की बात कही। आयुषी दिल्ली के एक कालेज में बीसीए की छात्रा थी। पिता नितेश यादव इलेक्ट्रीशियन का काम करते हैं।
21 नवंबर: चौंकाने वाला खुलासा
पुलिस जब आयुषी के माता-पिता से पूछताछ कर रही थी तब पिता ने सनसनीखेज खुलासा किया। एसपी सिटी एमपी सिंह ने बताया कि स्वजन ने पूछताछ में बताया है कि आयुषी अक्सर घर से बिना बताए चली जाती थी, बदनामी होती थी, ऐसे में स्वजन उससे परेशान रहते थे। 17 नवंबर की अपराह्न करीब दो बजे आयुषी की मां ब्रजबाला ने उसे छत्रपाल से दूर रहने के लिए समझाया, इस पर वह मां से लड़ गई।
ब्रजबाला ने नितेश को फोन कर घर बुला लिया। नितेश यादव घर पर आए और गुस्से में बेटी के सीने में गोली मार दी। छीनाझपटी के दौरान आयुषी के सिर और हाथ-पैर में भी चोट आई। इसके बाद नितेश बाजार गए और सफेद पालीथिन खरीदकर लाए। ब्रजबाला ने पति के साथ मिलकर पालीथिन के अंदर आयुषी के शव को पैक कर दिया। इसके बाद घर में रखे ट्राली बैग में शव बंदकर छिपा दिया।
सुबह तीन बजे ही घर से निकल दिए शव ठिकाने लगाने
18 नवंबर की सुबह तीन बजे दंपती अपनी फोर्ड फिस्टा कार से ट्राली बैग लेकर मथुरा के लिए चले। कार नितेश चला रहे थे और पत्नी पीछे ट्राली बैग के साथ बैठी थीं। दोनों आगरा-दिल्ली हाईवे से मथुरा पहुंचे। इसके बाद यमुना एक्सप्रेस वे के सर्विस रोड पर सुबह करीब 6.50 बजे ट्राली बैग सर्विस रोड पर रख दिया और यमुना एक्सप्रेस वे से होकर घर चले गए। राया पुलिस को ट्राली बैग में शव मिला तो उसकी खोजबीन शुरू की गई।
सूचना पर पुलिस मोलड़बंद स्थित नितेश के घर पहुंची और पूछताछ की। रविवार देर शाम मां ब्रजबाला और आयुषी के भाई आयुष ने पोस्टमार्टम हाउस पर आकर पूछताछ की। एसपी सिटी ने बताया कि हत्या में प्रयुक्त सामान बरामद कर लिया गया है। पुलिस ने खुद दंपती के खिलाफ हत्या और साक्ष्य मिटाने की रिपोर्ट दर्ज की है।
घटना के वक्त स्कूल गया था बेटा
जिस वक्त घटना हुई आयुषी का छोटा भाई आयुष स्कूल गया था। पुलिस ने बताया कि उसे स्वजन ने घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। घटना के समय नितेश के बुजुर्ग माता-पिता घर में थे, लेकिन वह भी इसके बारे में जान नहीं पाए। दिन भर घर में शव रखकर मां-पिता सुबह होने का इंतजार करते रहे।
सर्विस रोड पर रखा ट्राली बैग
पूछताछ में नितेश यादव ने बताया कि वह बेटी के शव की अंत्येष्टि करना चाहते थे। वह उसे फेंकना नहीं चाहते थे। वह अपने गांव देवरिया के मगहरा जा रहे थे, आगरा-दिल्ली हाईवे से लखनऊ जाने के रास्ता खोजने के लिए छटीकरा से वृंदावन पहुंचे। इसके बाद यमुना एक्सप्रेस वे की ओर बढ़े तो रास्ता भटक गए। इधर, सुबह हो गई, उजाला होने के कारण दंपती डर गए और फिर सर्विस रोड पर ही ट्राली बैग रखकर चले गए।।
बेटी की जिद के आगे पिता ने रगड़ी नाक
आयुषी काफी जिद्दी थी। पुलिस को पूछताछ में पिता ने बताया कि वह जो मन में आता था, करती थी। उसे कई बार समझाया लेकिन वह नहीं मानीं। ऐसे में पिता बेटी के आगे नाक तक रगड़ने की स्थिति में आ गया। लेकिन वह फिर नहीं मानीं, बल्कि उल्टे पिता को जवाब देती थी। एक साल पहले आयुषी ने छत्रपाल के साथ आर्यसमाज में शादी की थी। इसके बाद उसने इसी वर्ष 14 अक्टूबर को शाहदरा के जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में अपने विवाह का पंजीकरण कराया था।
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