कोरोना का हमला
दो साल से दुनिया भर मे कहर बरपाने के बाद एक बार फिर चिंता में डालने वाला कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन कितना खतरनाक है, यह अबतक स्पष्ट नहीं है। लेकिन यह साफ हो चुका है कि अब तक जो भी वेरिएंट मिले उसने देश के गरीबों पर ज्यादा कहर बरपाया। देश में कोरोना ने गरीबों की ज्यादा जान ली।
क्या मरने वालों मे अधिक गरीबी रेखा से नीचे वाले लोग?
देश में कोरोना से हुई मौतों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अध्ययन से यह पता चला है कि यहां कोरोना से मरने वालों में आधे से ज़्यादा लोग 55 वर्ष से अधिक या तो गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करते हैं, या उनके पास आयुष्मान भारत के कार्ड नहीं थे। यही नहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मरने वालों में 66 प्रतिशत अकुशल मजदूर थे।
सिर्फ़ झारखंड में 62.2 प्रतिशत मृतकों की आय 10000 से कम
देश के अतिरिक्त केवल झारखंड में कोरोना से जान गंवाने वालों में 35.4 फीसदी की मासिक आमदनी 4000 रुपए से कम की थी। जबकि, ओवरऑल 62.2 प्रतिशत मरने वालों की मासिक आमदनी 10000 से कम थी।
नए वैरिएंट को लेकर तैयारी कैसी हो?
नए वैरिएंट के आने पर देश में भय का माहौल बनता दिख रहा है। गरीबी रेखा और उसके नीचे तबके के रहने वालों के लिए सरकार को चाहिए कि आयुष्मान कार्ड में कोरोना के इलाज का भी व्यवस्था की जानी चाहिए।
Article by- Nishat Khatoon
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