
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में माध्यमिक विद्यालयों में 15 से 18 वर्ष आयु वर्ग के शत-प्रतिशत छात्र-छात्राओं को वैक्सीन लगवाने को लेकर अफसरों ने सख्ती बरती है.
कोरोना से बचाव के लिए शासन के महत्वपूर्ण वैक्सीनेशन अभियान में शिक्षा विभाग के अमले की लापरवाही पर कलेक्टर ने नाराजगी जताते हुए विकास खंड शिक्षा अधिकारी सहित क्षेत्र के 1200 से अधिक शिक्षकों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने के मौखिक आदेश वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिए हैं.
कलेक्टर ने वैक्सीनेशन की गति धीमी को लेकर नाराजगी व्यक्त की. वहीं कहा कि अगर इसमें लापरवाही बरती गई तो प्रधानाचार्य समेत संबंधित शिक्षक का वेतन अवरुद्ध कर दिया जाएगा.
कलेक्टर की हिदायत के बाद विभाग में हड़कंप
लक्ष्य के विरुद्ध अब भी लगभग 2861 बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो सका है, जो जिला प्रशासन के साथ ही स्थानीय अधिकारियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. पिछले दिनों ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कलेक्टर ने जब शिक्षा विभाग से 15 से 18 वर्ष तक के बच्चों के वैक्सीनेशन की जानकारी मांगी, वहीं वैक्सीनेशन का आंकड़ा क्षेत्र में मात्र 80% होने पर नाराजगी जाहिर की और जिला शिक्षा अधिकारी को स्पष्ट हिदायत दी है. यदि वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ तो जिले में किसी भी बीईओ सहित शिक्षकों को वेतन नहीं दिया जाएगा.
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हालांकि कलेक्टर ने वेतन काटने संबंधित कोई लिखित आदेश नहीं दिया है. फिर भी जिला प्रशासन के सख्त रवैया को देखते हुए अब शिक्षा विभाग वैक्सीन से वंचित बच्चों को डाटा इकट्ठा करने में जुटा हुआ है. इधर वैक्सीनेशन में लगे अमले को यह परेशानी भी खलल पैदा कर रही है कि अभिभावकों ने वैक्सीनेशन लेकर नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगवाने के बाद जब हमारी तबीयत खराब हो गई, हमारे बच्चों का कैसे कुछ नहीं होगा.

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