देश भर में कोविड संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजन और आश्रितों को पचास हजार रुपए मुआवजे के लिए फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने वाले भ्रष्ट डॉक्टर्स की पहचान कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामे के जरिए बताया कि इस फर्जीवाड़े की जांच कराई जाएगी. सरकार ने इस जांच के लिए कोर्ट से इजाजत मांगी है.
कोर्ट ने जताई थी कड़ी नाराजगी
पिछली सुनवाई के दौरान जब सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार की ओर से इसका खुलासा किया गया तो कोर्ट ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई. इस बाबत सरकार ने अपनी ओर से जांच की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ इस मामले पर सोमवार को सुनवाई करेगी.
पिछली सुनवाई के दौरान सबसे पहले सात मार्च और फिर 14 मार्च को नाराज कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि साजिश की जांच के लिए वो सीएजी को भी आदेश दे सकता है. हालांकि कोर्ट ने पिछले मंगलवार तक ही इस बाबत जानकारी देने को कहा था, लेकिन सरकार ने सुनवाई से दो दिन पहले शनिवार शाम को अर्जी दाखिल की है.
सरकार ने पहले दिया था फंड की कमी का हवाला
दरअसल, दो जनहित याचिकाएं वकील गौरव कुमार बंसल और रीपक कंसल ने पिछले साल दाखिल कर कोविड संक्रमण की वजह से मरने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख रुपए मुआवजा देने की गुहार लगाई थी. पहले तो सरकार ने फंड की कमी और अन्य कई तकनीकी मजबूरियां बताते हुए आनाकानी की थी. लेकिन कोर्ट के सख्त रवैए से सरकार ने पचास हजार रुपए सहायता राशि देने को कहा. इस पर भी कई राज्यों में कोविड से हुई मौत के आधिकारिक आंकड़ों से काफी ज्यादा दावे तो कहीं बहुत कम दावों पर भी सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों की खबर ली थी.
सोमवार को होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकारें विस्तृत प्रचार विज्ञापन के जरिए दूर दराज की जनता तक इस योजना की जानकारी पहुंचाएं ताकि उचित और सही दावेदारों तक इस योजना का लाभ पहुंच सके. इस मामले में अब सोमवार को अगली सुनवाई तय है.
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