देश में कोरोना के मामले में लगातार कमी देखी जा रही है. इसी बीच ओमिक्रॉन BA.2 को लेकर अमेरिकी स्वास्थ्य रिसर्च सामने आई है. तेजी से फैल रहा सबवेरिएंट, BA.2, डॉक्टरों को कोरोनावायरस के लिए एंटीबॉडी ट्रीटमेंट के बारे में दोबारा सोचने पर फिर से मजबूर कर रहा है.
नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में ओमिक्रॉन के कारण दोबारा संक्रमण के जोखिम पर जोर दिया गया है. यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार ओमिक्रॉन का पता चलने से पहले अन्य वैरिएंट्स के कारण रि-इंफेक्शन का रेट एक फीसदी के करीब था.
हालांकि अब ओमिक्रॉन के कारण यह दर बढ़कर 10 फीसदी तक पहुंच गई है. तमाम देशों से लोगों के ओमिक्रॉन से दोबारा संक्रमित होने के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं. दरअसल, स्टडी के आधार पर की गई जर्नल नेचर की एक रिपोर्ट के अनुसार, सोट्रोविमैब की क्षमता में भारी गिरावट दिखाई देती है. यह ओमिक्रॉन के इलाजों में से एक है.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी वैगेलोस कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन के रिसर्चर की एक अन्य टीम ने निष्कर्ष निकाला कि BA.2 ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने वाले 19 में से 17 के लिए उल्लेखनीय प्रतिरोध प्रदर्शित किया, जिसने BA.1 के खिलाफ एक अच्छा प्रदर्शन किया था.
BA.1 अमेरिका और ब्रिटेन सहित कई देशों में चिंता का सबसे प्रचलित रूप है, भारत, चीन और डेनमार्क में BA.2 के मामले बढ़ रहे हैं.वेरिएंट BA.2 संक्रामक, लेकिन ज्यादा गंभीर नहीं-WHOवहीं हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सबवैरिएंट BA.2 को लेकर कहा, ये BA.1 की तुलना में तेजी से फैलता है, लेकिन ज्यादा गंभीर नहीं है. इस पर अभी वैज्ञानिक और ज्यादा रिसर्च कर रहे हैं.
WHO ने अपने बयान में कहा कि BA.2 सबलाइन को चिंता का विषय माना जाना चाहिए
इसे ओमिक्रॉन के रूप में ही बांटा जाए.जाए. WHO ने कहा कि ग्लोबल लेवल पर BA.2 के केस BA.1 के सापेक्ष बढ़ रहे हैं. राहत की बात ये है कि कोरोना के केस इन दिनों सभी देशों में कम हैं.
फिलहाल अभी तक के अध्ययनों में ये पता चला है कि BA.2, BA.1 की तुलना में काफी तेजी से फैलता है. अगर संक्रामकता की रफ्तार की बात करें तो BA.1 और डेल्टा के बीच अंतर बहुत कम होता है. WHO ने कई देशों के डेटा का विश्लेषण किया, जिसमें पता चला कि BA.2 और BA.1 में “अस्पताल में भर्ती होने की गंभीरता के बीच अंतर नहीं है. जिन देशों में टीकाकरण की रफ्तार अच्छी है और जहां पर प्राकृतिक रूप से लोगों में एंटीबॉडी बन गई है, वहां पर इनकी रफ्तार धीमी है.
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