रीवा में ‘लोकतंत्र संविधान बचाओ’ संगोष्ठी सम्पन्न
मोदी शासन काल में देश पर भारी कर्ज : कंकर मुंजारे
देश में 2014 से मनमानी राज चल रहा : वाणी पटनायक
देश को नफरतवाद से बचाना होगा : राजमणि पटेल
रीवा 24 फरवरी। समता संपर्क अभियान , समाजवादी कार्यकर्ता समूह, नारी चेतना मंच , विंध्यांचल जन आंदोलन के संयुक्त तत्वावधान में संविधान एवं लोकतंत्र पर मंडराते खतरे को लेकर एक विचारोत्तेजक संगोष्ठी शुक्रवार को स्थानीय पूनम जनमासा में राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल की अध्यक्षता में संपन्न हुई । इस अवसर पर सांसद राजमणि पटेल ने कहा कि संविधान का धर्मनिरपेक्ष एवं समाजवादी स्वरूप देश की एकता ,अखंडता और संप्रभुता के लिए बहुत जरूरी है। यह बेहद आपत्तिजनक है कि इसे बदलने का षड्यंत्र किया जा रहा है। आज जरूरत है कि नफरत फैलाने वाली ताकतों का जनता डटकर मुकाबला करे और देश को नफरतवाद से बचाया जाए।
मोदी का विकसित भारत का दावा पूरी तरह भ्रामक-कंकर मुंजारे
लोकसभा पूर्व सांसद कंकर मुंजारे ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विकसित भारत का दावा पूरी तरह भ्रामक है। उन्होंने कहा कि देश पर 200 लाख करोड़ से भी ज्यादा विदेशी कर्ज का बोझ है जिसके चलते भारत की अर्थव्यवस्था बेहद कमजोर हो चुकी है। गैर बराबरी और गरीबी के दुष्प्रभाव से देश के आर्थिक हालात डावांडोल है। बढ़ते भ्रष्टाचार के चलते स्थिति बद से बदतर हो गई है। प्रधानमंत्री की गारंटी को झूठ बोलने की गारंटी कहा जा रहा है। बहुमत की तानाशाही के आधार पर देश के संविधान को नष्ट करने की साजिश चल रही है।
संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे हमले देश के लिए अच्छी बात नहीं-वाणी मंजरी दास पटनायक
शराब विरोधी आंदोलन की नेत्री वाणी मंजरी दास पटनायक (भूवनेश्वर उड़ीसा) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन काल में बढ़ती जा रही नशाखोरी प्रवृत्ति पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। देश में 2014 से मनमानी राज चल रहा है। नोटबंदी, कोरोना काल की मनमानी और संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे हमले देश के लिए अच्छी बात नहीं है।
संविधान की प्रस्तावना का पाठ राष्ट्रीय गान की तरह प्रचलित होना चाहिए-अजय खरे
समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि देश के संविधान की प्रस्तावना का पाठ राष्ट्रीय गान की तरह प्रचलित होना चाहिए। संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य भारतीय संविधान की उद्देशिका का मूल भाव है, जिससे देश के प्रत्येक नागरिक को अवगत होना चाहिए।
देश में कुछ सालों से अघोषित आपातकाल का परिदृश्य-बृहस्पति सिंह
लोकतंत्र सेनानी बृहस्पति सिंह ने कहा कि देश में कुछ सालों से अघोषित आपातकाल का परिदृश्य बना हुआ है। अहिंसक जन आंदोलनों को सरकारी दमन का शिकार होना पड़ रहा है। एक बार फिर देश की राजधानी को सीलबंद किया जा रहा है। देश के अंदर शीतयुद्ध जैसे हालात बना दिए गए हैं।
किसानों की आवाज को कुचला जा रहा है
संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री किसान नेता स्व. चरण सिंह एवं हरित क्रांति के प्रख्यात वैज्ञानिक स्व. एम एस स्वामीनाथन को मोदी सरकार के द्वारा लोकसभा चुनाव का लाभ उठाने भारत रत्न से नवाजा गया है , वहीं दूसरी ओर किसानों की आवाज को कुचला जा रहा है। देश का संसदीय लोकतंत्र बहुमत की तानाशाही का शिकार बन गया है। संवैधानिक संस्थाओं के अधिकारों में मनमानी कटौती के चलते लोकतंत्र का वजूद खतरे में है। चुनाव आयोग , सीबीआई, ईडी, रिजर्व बैंक की स्थिति तोता जैसी है। सांसदों की सदस्यता छीनी जा रही है। विरोध के स्वरों को दबाने के लिए सांसदों का निष्कासन अत्यंत आपत्तिजनक बात है।
जन आंदोलन लोकतंत्र की प्राण वायु
जन आंदोलन लोकतंत्र की प्राण वायु है , लेकिन इसे दण्डनीय अपराध बना दिया गया है। देश की राजधानी के आसपास के क्षेत्र में अहिंसक किसान आंदोलन को दबाने के लिए मोदी सरकार के द्वारा युद्ध जैसी मोर्चे बंदी किया जाना अंत्यंत आपत्तिजनक एवं लोकतंत्र विरोधी है। आंदोलनकारी किसानों की बढ़ती संख्यां रोकने के लिए पूरे देश में धारा 151 का दुरुपयोग करते हुए मनमानी तरीके से जगह-जगह गिरफ्तारी करके जेल भेजा जा रहा है। यहां तक सामान्य बैठकों को भी गैर कानूनी ठहराया जा रहा है। अहिंसक आंदोलन को इस तरह से दबाया जाना देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। यह देश की जनता के साथ क्रूर मजाक है। यह नागरिक आजादी पर खुल्लम-खुल्ला हमला है।
निहत्थे किसानों से मोदी सरकार इस कदर डरी हुई है कि…
चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों की सीमाओं तक सड़कें बना दी गई है। सरकार को वहां खतरा नजर नहीं आ रहा है, लेकिन राजधानी दिल्ली में निहत्थे किसानों से मोदी सरकार इस कदर डरी हुई है कि पूरी सीमा को सील बंद किया जा रहा है। चारों तरफ कीलें गाड़ने , दीवार खड़ा करने और गड्ढे खोदकर सड़क संपर्क काटने का काम किया जा रहा है। लोकतंत्र में सरकार का विरोध केवल संसद में ही नहीं , सड़कों पर भी होता है। लेकिन संसद से लेकर सड़कों पर विरोध के स्वरों को दबाया जा रहा है। देश के संवैधानिक स्वरूप को विकृत बनाया जा रहा है।
देश की एकता अखंडता के लिए समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष संवैधानिक स्वरूप बेहद जरूरी है जिसे खत्म करने का षड्यंत्र हो रहा है। अन्नदाता किसान की आवाज को दबाया जाना देश को कमजोर बनाने और गुलामी की ओर ले जाने की गहरी साज़िश है ,जिसका देशव्यापी प्रतिकार होना बेहद जरूरी है।
संगोष्ठी का संचालन लोकतंत्र सेनानी अजय खरे एवं आभार प्रदर्शन लोकतंत्र सेनानी रामेश्वर सोनी ने किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से लोकतंत्र सेनानी बृहस्पति सिंह , रामायण पटेल , समाजवादी जन मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष लोकतंत्र सेनानी माहेश्वरी त्रिपाठी , कामरेड अरविंद त्रिपाठी , डॉ आशीष दुबे , नारी चेतना मंच की नेत्री मीरा पटेल , डॉ श्रद्धा सिंह, डॉ मधु दुबे,गीता महंत, नैना चंदेल, अद्वैता दुबे , नरेश गुप्ता एडवोकेट, राजेंद्र पटेल एडवोकेट , अशफाक अहमद एडवोकेट, डॉ वी पी सिंह, समाजसेवी शेषमणि शुक्ला ,श्रवण प्रसाद नामदेव , डॉ रवि शंकर चतुर्वेदी , साधू सिंह लोधी पन्ना, राजेंद्र कुमार बालाघाट , सहेज लाल पटेल , शिवनाथ सिंह , मधुर पटेल,युवा किसान नेता परिवर्तन पटेल , प्रेम नाथ जायसवाल आदि की भागीदारी रही।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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