स्थानीय सामाजिक परिप्रेक्ष्य और जन अधिकारों के लिए लड़ने वाले स्थानीय प्रत्याशी हो
लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को राज्य के मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन से मिलकर लोकसभा चुनाव के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की एवं लोकतंत्र को बचाने के लिए साझा ज़मीनी संघर्ष के लिए अपील की व मांग-पत्र दिया. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को ‘…अभियान’ के विषय में कहा कि अभियान अंतर्गत राज्य के सभी 14 लोकसभा क्षेत्रों में 2024 लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष्य में लगभग एक साल से जन जागरण कार्यक्रमों, जैसे- जन सभा, कार्यशाला, यात्राओं व वॉलंटियर प्रशिक्षणों आदि का आयोजन किया जा रहा है व लोगों को संगठित किया जा रहा है.
सीट वार गठबंधन तय कर साझा जन संपर्क अभियान शुरू करने की मांग
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि कि मोदी सरकार, आरएसएस व भाजपा समाज, झारखंड, देश, लोकतंत्र, संविधान और मेहनतकश वर्ग के लिए सबसे बड़े खतरे हैं. 2024 लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को हटाने के लिए लोकतंत्र पसंद लोगों, संगठनों और INDIA पार्टियों को मिलकर जन मुद्दों पर साझा ज़मीनी संघर्ष करने की ज़रूरत है. जल्द-से-जल्द सीट वार गठबंधन तय कर साझा जन संपर्क अभियान शुरू करने की मांग भी की गयी. अन्य INDIA दलों से भी यह मांग की गई है. यह भी ज़रूरी है कि स्थानीय सामाजिक परिप्रेक्ष्य और जन अधिकारों के लिए लड़ने वाले स्थानीय प्रत्याशी हो.
साथ ही, प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव में जीत के लिए यह भी ज़रूरी है कि कुछ ख़ास मुद्दों पर राज्य सरकार जल्द-से-जल्द जन अपेक्षा अनुरूप निर्णय ले. प्रतिनिधिमंडल ने इसके लिए कुछ मुद्दों पर सुझाव दिए हैं
सुझाव
पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा राज्य के 22 लाख हेक्टेयर गैर-मजरुआ व सामुदायिक ज़मीन को लैंड बैंक में डाल दिया गया था. लैंड बैंक को तुरंत रद्द किया जाए. जल्द-से-जल्द वन अधिकार कानून अंतर्गत सामुदायिक पट्टों का वितरण किया जाए. पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासियों के स्वसाशन के अधिकारों को पेसा के संगत पुर्णत लागू किया जाय. फर्जी मामलों में फंसे आदिवासी-मूलवासियों के मामलों को बंद करने के लिए उच्च स्तरीय न्यायिक जांच का गठन हो.
दलित समुदाय के लिए जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए आवेदकों को तुरंत जाति प्रमाण पत्र दिया जाए. साथ ही, भूमिहीन परिवारों, खास कर दलितों, को पर्याप्त भूमि पट्टा का आवंटन हो.
चुनाव से पहले नफरती व सांप्रदायिक भाषण व गतिविधियों का इस्तेमाल कर साम्प्रदायिकता फ़ैलाने और चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश बढ़ सकती है. इसलिए प्रशासन को स्पष्ट निदेश दिया जाए कि नफरती व सांप्रदायिक भाषण व गतिविधियों के विरुद्ध न्यायसंगत कार्यवाई की जाए. किसी भी धर्म के धार्मिक अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम में सार्वजनिक स्थलों, रोड, बिजली पोल, सरकारी दफ्तरों, थाना, पुलिस व अर्धसैनिक बल कैंप आदि में लगाये गए धार्मिक झंडों व प्रतीकों को अनुष्ठान/पर्व/त्योहार/कार्यक्रम खत्म होने के 48 घंटो के अन्दर हटाया जाना सुनिश्चित किया जाए.
भाजपा व आरएसएस संगठनो द्वारा झारखंडी समाज को ईसाई-सरना, आदिवासी-कुड़मी आदि मुद्दों पर बांटने की कोशिश की जा रही है. इसके विरुद्ध झारखंडी एकता जन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए. राज्य के दलित और अतिपिछड़े सामाजिक समूहों की संतुलित राजनीतिक-प्रशासनिक सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए उनके साथ संवाद कर विशेष प्रयास किया जाए.
राज्य के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में काम का सार्वजनिक अधिकार सुनिश्चित करने की ज़रूरत है.
अभियान प्रतिनिधिमंडल में अलोका कुजूर, अफज़ल अनीस, दिनेश मुर्मू, एलिना होरो, ज्योति कुजूर, जयसिंह बोदरा, सिराज दत्ता व टॉम कावला शामिल थे.
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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