पेसा नियमावली और मेसा कानून के बिना आदिवासी स्वशासन का अधिकार अधूरा-सीरत कच्छप
रांची के सत्य-भारती सभागार में आज 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आदिवासी स्वशासन अधिकार विषय पर एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया गया. विषय प्रवेश करते हुए सीरत कच्छप ने कहा कि आदिवासियों के लिए स्वशासन का अधिकार उनके समस्त मानवाधिकारों का मूल है. मानव अधिकारों के तहत जितने भी अधिकार आते हैं, वे तभी सुनिश्चित हो पाएंगे जब आदिवासियों के पास स्वशासन का अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि पेसा नियमावली और मेसा कानून के बिना आदिवासी स्वशासन का अधिकार अधूरा है.
आदिवासियों को बेदखल कर आदित्यपुर नगर निगम बना-सोमाय मार्डी
परिचर्चा में भाग लेते हुए पूर्वी सिंहभूम के डेमका सोय ने कहा कि जिले में मानगो नगर निगम का गठन किया जाना आदिवासी स्वशासन अधिकारों पर कुठाराघात है. नवीन मुंडू ने कहा कि खूंटी शहर मूलतः एक गांव है. यही बात राज्य के अन्य शहरों पर भी लागू होती है. उन्होंने कहा कि पारंपरिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए नगरीकरण के विस्तार को रोकना जरूरी होगा. सरायकेला-खरसावां जिले के सोमाय मार्डी ने बताया कि जिले के एक हिस्से से आदिवासियों को बेदखल कर आदित्यपुर नगर निगम बना दिया गया है और दूसरे क्षेत्रों में भी ऐसा करने का प्रयास किया जा रहा है.
Ghumantu Pustakalaya Yatra | Mashal News
हर स्तर पर महिलाओं की सामान भागीदारी सुनिश्चित रहे-एलीना होरो .
पश्चिमी सिंहभूम जिले की सुषमा बिरूली ने बताया कि चाईबासा शहर से लगे गावों को नगरपालिका में शामिल किया जा रहा था, किन्तु स्थानीय लोगों के विरोध के बाद सरकार को पीछे हटना पड़ा. खूंटी जिले के प्रतिनिधि संताल परगना से आए सनत कुमार सोरेन ने कहा कि स्वशासन के अधिकार को प्राप्त करने के लिए एक लोकतांत्रिक आंदोलन खड़ा करने की जरूरत ,है जिसके केंद्र में ग्राम सभा को रखा जाना चाहिए. बिनीत मुंडू ने कहा कि स्वशासन के अधिकार को प्राप्त करने की दिशा में विवादों को हटाने और सुधारों को अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए. एलीना होरो ने विचार दिया कि इन प्रक्रियाओं को आगे बढ़ाने के क्रम में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर स्तर पर महिलाओं की सामान भागीदारी सुनिश्चित रहे.
मानवाधिकारों को सुनिश्चित रखने के लिए जरूरी स्वशासन के अधिकार को मजबूत करने के संकल्प के साथ “आदिवासी स्वशासन अधिकार मंच” के विधिवत गठन का निर्णय लिया गया. 25 नवम्बर से 10 दिसंबर तक चले 16 दिवसीय महिला हिंसा प्रतिरोध पखवाड़ा का आज आखिरी दिन था जिसके समापन के अवसर पर इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया था.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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