भारतीय संविधान में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की विरासत है
78वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर बुधवार को राहुल सांकृत्यायन सभागृह, गोलमुरी में सीआईटीयू , किसान सभा एवं अखिल भारतीय महिला समिति की जिला इकाइयों द्वारा संयुक्त रूप से “स्वतंत्रता संग्राम के उद्देश्यों की रक्षा एवं समकालीन दायित्व” पर संगोष्ठी आयोजित की गई। समाज के विभिन्न तबकों के वक्ताओं ने इन विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये।
आर्थिक विकास का दृष्टिकोण
संगोष्ठी में यह विचार व्यक्त किया गया कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन निरन्तर वैचारिक विकास के पथ पर आगे बढ़ते हुए अनिवार्यतः उपनिवेशवाद विरोधी होते हुए एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणतांत्रिक और नागरिक-स्वतंत्रतावादी राजनीतिक संरचना तथा समावेशिता के साथ स्वतंत्र, आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से भी पूरित था। 1920 के दशक के बाद, आंदोलन ने एक मजबूत समाजवादी अभिविन्यास भी अपनाया। इस सब की परिणति भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 में हुई, जिसने ब्रिटिश ताज की आधिपत्य को समाप्त कर दिया ।
वक्ताओं ने यह भी कहा कि, राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की अवधारणा और गौरवशाली राष्ट्रीय आंदोलन के अनुभवों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना और नीति निर्देशक तत्वों का आधार तैयार किया। भारतीय संविधान में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की विरासत है, इसलिए संविधान के आधार में परिवर्तन का कोई भी प्रयास महान स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किए गए प्रतिबद्धता, समर्पण और बलिदानों का नकारना और उन सभी का अपमान होगा।
वैधानिक विरासत की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर
संगोष्ठी में एक स्वर में देश की संवैधानिक विरासत की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया, साथ ही गौरवशाली राष्ट्र निर्माण और नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए स्वतंत्रता, संप्रभुता, मौलिक अधिकार , समता , न्याय , एकता और अखंडता की रक्षा और उसे कायम रखने के लिए, एक सतर्क नागरिक बने रहने के साथ साथ निर्णायक जनवादी आंदोलन चलाने का आह्वान किया गया।
कार्यवाही की अध्यक्षता कॉमरेड केके त्रिपाठी, सुजय रॉय, जेपी सिंह, केडी प्रताप, और जया मजूमदार ने की, मुख्य वक्ता थे, शांतनु सरकार, अशोक शुभदर्शी, तापस चट्टोराज, डीएनएस आनंद, बरुण प्रभात, पीयूष गुप्ता, विनय कुमार तथा बैठक का संचालन संजय कुमार ने किया एवं समापन भाषण विश्वजीत देब ने दिया।
गुप्तेश्वर सिंह , सुब्रत विश्वास, नागराजू, तिमिर मुखर्जी, एसके उपाध्याय, जे मजूमदार, मिठू भट्टाचार्य जैसे विभिन्न संगठनों के नेता तथा बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित थे।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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