संवैधानिक मूल्यों को लेकर सामाजिक संस्था श्रुति का तीन दिनी राज्य स्तरीय सम्मलेन संपन्न
सम्मलेन में चर्चा के केन्द्र में रहे ग्राम सभा, पेसा क़ानून, महिलाओं के अधिकार, शिक्षा, रोज़गार, कृषि आदि
संवैधानिक मूल्यों को लेकर देश भर में कार्य करने वाली सामाजिक संस्था श्रुति के तत्वावधान में तीन दिनी राज्य स्तरीय सम्मलेन का आयोजन जमशेदपुर में गत 7 से लेकर 9 जनवरी तक किया गया, जिसमें झारखण्ड के विभिन्न जिलों के सक्रिय सामाजिक कार्यकर्त्ता जुटे और अपनी बातें रखीं.
कई सत्रों में विभाजित इस सम्मलेन में चर्चा के केन्द्र-बिंदु में रहे ग्राम सभा, पेसा क़ानून, महिलाओं के अधिकार, शिक्षा, रोज़गार, कृषि आदि.
सामाजिक कार्यकर्ताओं का दायित्व बढ़ गया है-अरविन्द अंजुम
मानगो के यीशु भवन में आयोजित इस सम्मलेन के प्रथम दिन वरिष्ठ साथी अरविन्द अंजुम ने प्रदेश व देश में बने सामाजिक, राजनीतिक व अन्य हालात पर चर्चा करते हुए सामाजिक संगठनों की बढ़ती जिम्मेदारियों व जवाबदारी पर बल दिया. उन्होंने कहा कि समाज के अन्दर आपसी सद्भाव तथा सामंजस्य की जगह विघटनकारी मानसिकता व वैमनस्य ले रहे हैं. ऐसे में सामाजिक कार्यकर्ताओं का दायित्व बढ़ गया है.
न्याय की बात काफी पीछे छूटती जा रही है-जेरोम
नेतरहाट फ़ील्ड फायरिंग रेंज के खिलाफ लगातार संघर्षशील साथी जेरोम जेराल्ड कुजूर ने कहा, कि स्थिति विकट होती जा रही है. मुद्दे बहुत हैं. न्याय की बात काफी पीछे छूटती जा रही है. पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में लगातार बाहरी तत्वों की सेंधमारी जारी है. झारखण्ड की संस्कृति, परंपरा, परिवेश, साहित्य पर लगातार आक्रमण जारी है. उन्होंने शिक्षा के व्यापक प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि ज्ञान के अभाव में झारखंडी वर्षों से छले जाते रहे हैं, अतः शोषण, उत्पीड़न के जाल से निकलने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक और निरंतर अभियान चलाए जाने की ज़रूरत है.
ग्राम स्वशासन पर दामोदर सिंह हांसदा ने रखी बात
इसी सत्र में कोल्हान क्षेत्र में भाषा-संस्कृति को लेकर विगत लगभग दो दशकों से सक्रिय साथी दामोदर सिंह हांसदा ने ग्राम स्वशासन की वकालत करते हुए ग्राम सभा को सशक्त किए जाने के लिए मानकी-मुंडा, पड़हा, परगनैत, प्रधान आदि को पुनर्स्थापित करने के लिए सामाजिक व राजनितिक स्तर पर पहल करनी होगी. उन्होंने कहा कि वे इस अभियान में जुटे हुए हैं.
अभी भी महिलाएं दोयम मानी जाती हैं, लेकिन कुछ इलाकों में तस्वीर कुछ बदल रही है-कोर्दुला
कई साथियों ने अपने-अपने इलाकों में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी. सतत और सघन अभियान की ज़रूरत सभी ने महसूस की और इसके लिए सक्रिय रूप से कार्य करने का संकल्प लिया. रांची से आई वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता कोर्दुला कुजूर ने महिला के मुद्दे उठाए. समता का अधिकार अभी भी उन्हें नहीं मिला है, यह दुःख की बात है. अभी भी महिलाएं दोयम मानी जाती हैं. उन्होंने कहा कि उनके इलाके में तस्वीर कुछ बदल रही है. वे शिक्षित हो रही हैं. उन्होंने कुडुख भाषा की पढ़ाई को लेकर चलाए जा रहे अभियान के बारे में बताया.
गांव क्षेत्र की बड़ी समस्या पलायन भी है-डोमन बास्के
नए साथी डोमन बास्के ने कहा कि वे ढाई-तीन दशकों से आदिम जन जाति के बीच उन्हें न्याय दिलाने के लिए कार्य कर रहे हैं, लेकिन लड़ाई अभी लंबी है. शासक वर्ग हमेशा से पूंजीवाद का पोषक रहा है. आम जन हाशिये में ही रहे हैं. उन्होंने आदिवासियों को वन-पट्टे दिलाने के लिए आगे सतत प्रयास करने की बात कही. उन्होंने यह भी कहा, कि गांव क्षेत्र की बड़ी समस्या पलायन भी है. इसके साथ साथ विभिन्न स्पंज आयरन फैक्ट्रियों के कारण प्रदुषण भी एक विकराल समस्या बन गई है. कहा, ‘हमारा सघर्ष कभी ख़त्म होने वाला नहीं है, इसलिए संघर्ष के लिए ही कर दिया है सारा जीवन.
बनारस के साथी युद्धेश ने क्रांतिकारी गीतों से साथियों में जोश का संचार किया
दूसरे दिन अपने कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया और इस वर्ष किए जाने वाले कार्यों की रूपरेखा तय की गई. कई कार्यक्रम किए जाने पर सहमति बनी. पूरे सम्मलेन के दौरान बनारस से आए साथी युद्धेश ने क्रांतिकारी गीतों के गायन से साथियों में जोश का संचार किया.
दिखाई गई पिछले वर्ष नागपुर में आयोजित कार्यशाला पर आधारित डॉक्युमेंट्री विडियो
सम्मलेन के दूसरे दिन एक डॉक्युमेंट्री विडियो दिखाई गई, जिसे पिछले वर्ष मार्च महीने में महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित चार दिवसीय संवैधानिक कार्यशाला पर आधारित है, इसे साथी शशांक शेखर और मोहन भाई ने बनाई है. ज्ञात हो कि नागपुर में देश भर कुल 12 राज्यों के विभिन्न संगठनों के कुल 135 सक्रिय साथी जुटे थे और संवैधानिक मूल्यों पर अपनी गहरी समझ बनाने का प्रयास किया.
Nagpur – Workshop On We and Our Constitution | Mashal News |
महत्वपूर्ण कार्यक्रम, जो आगे होने हैं
1. प्रत्येक माह के दूसरे व चौथे शुक्रवार को सभी साथी ऑनलाइन मीटिंग में जुड़ेंगे, जिसमें किसी मद्दे पर विचार व विश्लेषण होगा.
2. मार्च के अंतिम सप्ताह में लेखन व मोबाइल जर्नलिज्म पर दो-तीन दिनी कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसे साथी विकास कुमार और अंकुर शास्वत को-ऑर्डिनेट करेंगे. इसमें 5060 साथियों की भागीदारी होगी.
3. मई माह में कला व संस्कृति गीत-संगीत पर एक कार्यशाला का आयोजन होगा, जिसे साथी कोर्दुला कुजूर, शशांक शेखर, जया, सलोमी एक्का व पाला को-ऑर्डिनेट करेंगे. इसमें लगभग 100 साथियों की भागीदारी होगी.
4. ग्राम सभा व पेसा पर चलने वाले अभियान को कुमार दिलीप, दामोदर सिंह हांसदा व एडविन को-ऑर्डिनेट करेंगे.
5. युवा शिविर (तीन दिवसीय) को जेरोम जेराल्ड कुजूर, जया, रासमनी व अनंत को-ऑर्डिनेट करेंगे.
6. गांव की सम्पदा, जड़ी-बूटी, जैव-विविधता को लेकर गांव विजिट किए जाने वाले कार्यक्रम को जेरोम और सलोमी को-ऑर्डिनेट करेंगे.
सक्रिय रूप से सामाजिक बदलाव हेतु कार्य करने का संकल्प
सम्मलेन का संचालन श्रुति की ओर से मौजूद सौरभ और एलिन ने किया. अंत में धन्यवाद एलिन ने किया. आयोजन में अहम भूमिका रही साथी अंकुर की. उपरोक्त साथी समेत सम्मलेन में संवैधानिक मूल्यों के प्रसार में लगे इस अभियान से जुड़े कुल 20 सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे, जिन्होंने आगे पूरी ज़िम्मेदारी के साथ सक्रिय रूप से सामाजिक बदलाव हेतु कार्य करने का संकल्प लिया. इस तरह श्रुति द्वारा संवैधानिक मूल्यों पर जमशेदपुर के मानगो ओल्ड पुरुलिया रोड स्थित यीशु भवन में आयोजित तीन दिवसीय सम्मलेन का सफल समापन हुआ.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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