झारखंड उच्च न्यायालय में गत 27 नवम्बर को जस्टिस राजेश शंकर की एकल पीठ में कथित तौर पर सरायकेला-खरसावां जिला प्रशासन की मिली भगत से विनी आयरन और स्टील उद्धोग लिमिटेड कंपनी द्वारा गैरकानूनी तरीके से आदिवासियों और दूसरे ग्रामीणों की जमीन को तीसरे पक्ष को स्थानांतरित करने की कोशिश के खिलाफ दायर सिविल रिट संख्या 1474/ 2021 की सुनवाई हुई।
ग्रामीणों की तरफ से उनका पक्ष रखते हुए अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि साल 2005 में लगभग 150 एकड़ जमीन का विनी आयरन और स्टील उद्योग लिमिटेड ने लुपुंगडीह के ग्रामीणों से अनुबंध के अनुसार अधिग्रहण किया था। अनुबंध की शर्तों के अनुसार विनी आयरन और स्टील उद्योग लिमिटेड को दो वर्षों में इस्पात उद्योग की स्थापना कर ग्रामीणों को नौकरी, ट्रेनिंग, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि मुहैया करानी थी। इस रूप में जमीन का मुआवजा का एक हिस्सा नकदी में और दूसरा हिस्सा नौकरी, प्रशिक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि स्वरूप में. था इस प्रकार यह स्पष्ट है कि नकदी मुआवजा जमीन के बाजार मूल्य से बहुत कम था, लेकिन 16 वर्षों के बाद भी विनी आयरन और स्टील उद्योग लिमिटेड ने कुछ नहीं किया और ग्रामीणों के साथ धोखाधड़ी की और इस रूप में कानूनी तौर पर जिन जमीनों का हस्तांतरण हुआ, वे अवैध हो गये और ग्रामीणों के पास 150 एकड़ जमीन का स्वामित्व वापस आ गया है।
इस मामले में अधिवक्ता अखिलेश ने बताया कि विनी आयरन और स्टील उद्योग लिमिटेड के एक निदेशक प्रंशात तुलस्यान ने अनुमंडलाधिकारी के पास विगत 22.09.2005 को एक हलफनामा दायर कर अनुबंध की शर्तों को मंजूर किया था, जिसका अनुपालन नहीं करने के कारण अनुबंध अवैध हो गया, पर अनुमंडलाधिकारी ने उसे और टाईटल डीड को अवैध घोषित नहीं किया। इसके अलावा जमीन का एक हिस्सा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के तहत अधिगृहीत किया गया है, जिसे सरकार को स्थापित प्रक्रिया का पालन कर 12 साल के बाद छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम की धारा 49 के प्रावधानों के तहत अवैध घोषित कर खारिज करना चाहिए था, पर सरकार ने अभी तक ऐसा नहीं किया। अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यह हैरान करने वाला विषय है. प्रशासन विनी आयरन और स्टील उद्योग लिमिटेड की खुलेआम मदद कर रहा है, ताकि विनी आयरन और स्टील उद्योग लिमिटेड ग्रामीणों की जमीन को तीसरे पक्ष को बाजार मूल्य पर बेच दे और ग्रामीणों का पैसा मुनाफे सहित हड़प ले।
उच्च न्यायलय की पीठ ने ग्रामीणों और सरकार के अधिवक्ताओं को सुनने के पश्चात सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया है। ज्ञातव्य है कि 2005 में विस्थापित मुक्ति वाहिनी और विस्थापित विरोधी एकता मंच ने इस जमीन अधिग्रहण का विरोध किया था।
लुपुंगडीह के ग्रामीणों की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, रोहित सिंहा, विकास सिंह, आकाश शर्मा और मंजरी सिंहा ने प्रतिनिधित्व किया।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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