1800 एकड़ की कंपनी के लिए हम 15000 एकड़ के शहर को संभालते है. हम सरकार के सब्सिच्यूट्स नहीं है,
हम बाहर से मदद कर सकते हैं-नरेन्द्रन
टीवी नरेन्द्रन ने विभिन्न व्यापारिक संस्थानों के प्रतिनिधियों से कहा कि वे सरकार नहीं है और न ही उसके सब्सिच्यूट्स हैं कि जनता की सारी समस्याओं का समाधान करें. हम सरकार को सपोर्ट कर सकते हैं.
किसी कंपनी के लिए एक शहर चलाना आसान नहीं है. 1800 एकड़ की कंपनी के लिए हम 15000 एकड़ के शहर को संभालते हैं. टाटा स्टील की दूसरी कंपनियों में जाकर देख लें, हमारा फोकस केवल अपने कर्मचारियों पर ज्यादा होता है. जबकि जमशेदपुर में हमें कर्मचारियों के साथ ही समुदाय का काफी ख्याल रखना होता है. जमशेदपुर हमारा मदर प्लांट है, इसलिए इसके साथ इमोशनल कनेक्ट है.
हम सड़कों पर, हेल्थ पर, पार्क या नागरिक सुविधाओं पर जो खर्च करते हैं, वह सीएसआर के इतर होता है. लोगों को लगता है कि टाटा स्टील ये सड़कें सीएसआर के तहत बना रही है. यह सच्चाई नहीं है. किसी शहर को चलाने के लिए कम्युनिटी को भी सहयोग करने की जरूरत है. आप हमारे एनुअल रिपोर्ट में देखेंगे तो पाएंगे कि हमने शहर पर इस साल 400-500 करोड़ रूपए खर्च किए हैं.
लेकिन हमारी भी एक सीमा है. हम पर भी स्टील बाजार में अपना अस्तित्व बनाए रखने का दबाव है. हमे भी दूसरी कंपनियों से कम्पीट करना होता है. लांग टर्म में सस्टेन करने के लिए हमें न केवल दूसरी कंपनियों से कम्पीट करना होगा बल्कि अपने आप को प्रोफिटेबल भी बनाए रखना है. टाटा स्टील एक मल्टी जेनरेशनल कंपनी है. हमने पिछले कुछ सालों में अपनी उत्पादकता को काफी बढ़ाया है. इसमें कर्मचारियों के साथ ही यूनियन का काफी सपोर्ट रहा है. हमें क्वालिटी के साथ ही बेहतर सर्विस और प्रोफिटेबल भी बनना होता है.
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