साकची के बिरसा स्मारक पर शहीद को नमन करते हुए झारखण्ड में 8 दिसंबर को प्रारंभ इस यात्रा का होगा समापन
‘ढाई आखर प्रेम’ की पदयात्रा के पांचवें दिन की शुरुआत हड़तोपा गांव से हुई। नाचते-गाते और अपने गीतों के माध्यम से शहीद पुरखों को याद करते हुए यात्रा गांव से निकलकर प्राथमिक विद्यालय हड़तोपा स्कूल में बच्चों के बीच सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रारंभ में स्कूल के बच्चों ने पदयात्रियों का स्वागत गीत से किया। इसके बाद बच्चों ने एक नाटक प्रस्तुत किया। नाटक के माध्यम से पढ़ाई-लिखाई के महत्व को बताया।
डोमजुड़ी में फिल्मकार तरुण मोहम्मद ने पारगाना हरिपोदो मुर्मू को प्रेम और श्रम का प्रतीक अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया
विद्यालय में कार्यक्रम का संयोजन उर्मिला हसदा और रामचंद्र मार्डी ने किया। कार्यक्रम के बाद यात्रा नाचते-गाते आगे बढी। बीच रास्ते में चाईबासा के साथी यात्रा में शामिल हुए। इस तरह कारवां में लोग जुड़ते चले गए और यात्रा आगे बढ़ती रही। 4 किलोमीटर की यात्रा करने के बाद पदयात्री डोमजुड़ी पहुंचे, जहां पदयात्रियों की ओर से फिल्मकार तरुण मोहम्मद ने परगना हरिपोदो मुर्मू को प्रेम और श्रम का प्रतीक अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया।
आप सभी प्रेम बांट रहे हैं, यह सबसे बड़ी बात है-हरिपोदो मुर्मू
इस मौके पर परगना हरिपोदो मुर्मू ने सभी पदयात्रियों को ढेर सारी शुभकामनाएं देते हुए कहा, “आप सभी प्रेम बांट रहे हैं, यह सबसे बड़ी बात है। इसके बाद उर्मिला और राम ने सामूहिक रूप से संताली गीत प्रस्तुत किया। गीत के माध्यम से उन्होंने कहा कि पहाड़ पर्वत फूल और पत्तों से सजे हैं। नदी-झरना सजे हैं झर-झर बातें पानी से। हम लोग फूलों से सजेंगे और फलों का आनंद लेंगे। दुख की घड़ी में हम एक दूसरे का सहारा बनेंगे। आने वाली पीढ़ी को प्रेम का संदेश देंगे।”
गीत गाती हाड़तोपा स्कूल की बच्चियां
परवेज आलम ने ‘हो’ भाषा में एक गीत प्रस्तुत किया
कार्यक्रम की कड़ी में आगे बढ़ते हुए परवेज आलम ने ‘हो’ भाषा में एक गीत प्रस्तुत किया। उन्होंने गीत के माध्यम से बिरसा के जीवन और उनके संघर्षों को विस्तार से बताया। साथ ही उन्होंने जल-जंगल-जमीन के प्रति बिरसा के समर्पण को भी प्रतिबिंबित किया। जल जंगल जमीन और स्वतंत्रता की खातिर उन्होंने अपने जीवन को कुर्बान कर दिया। कार्यक्रम का संचालन उर्मिला ने किया। इसके बाद यात्रा डोमजुरी नाचते-गाते और पर्चा बांटते हुए यात्रा गोविंदपुर स्टेशन पर पहुंची। गोविंदपुर स्टेशन पर पहुंचते ही पदयात्रियों को गांधी शांति प्रतिष्ठान के सुख चंद्र झा, कामरेड केदार दास के पोत्र अशोक लाल दास, प्रगतिशील लेखक संघ के विनय कुमार एवं गोविंदपुर के नागरिकों ने स्वागत किया।
शाम को ‘ढाई आखर प्रेम’ की सांस्कृतिक पदयात्रा जेम्को इलाके के प्रेमनगर स्थित वरिष्ठ नागरिक समिति में पहुंची, जहां पदयात्रियों का रात्रि विश्राम हुआ. कल सुबह प्रेमनगर से साकची स्थित बिरसा स्मारक पर शहीद बिरसा मुंडा को नमन करते हुए झारखण्ड में 8 दिसंबर को प्रारंभ इस यात्रा का समापन होगा.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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