ड्रइंग कम्पीटीशन के विजेता प्रतिभागी बच्चों को अतिथियों के हाथों पुरष्कृत किया गया
अंतर्राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर झारखण्ड लोक कला एकेडमी (झलका) के तत्वावधान में बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन सभागार में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. समारोह में ड्राइंग कम्पीटीशन के विजेता प्रतिभागी बच्चों को अतिथियों के हाथों पुरष्कृत किया गया. कुछ दिन पूर्व इसकी प्रतियोगिता संस्था द्वारा आयोजित कराई गई थी. प्रतिभागी बच्चों को चार समूहों में बांटा गया था. सभी समूहों के 6-6 प्रतिभागियों को मंच पर प्रशस्ति-पत्र और एक मोमेंटो देकर उनका उत्साहवर्धन किया गया.
नीरज का परिवार इतना सक्षम नहीं है कि..
एक ऐसे प्रतिभावान बच्चे को भी इस मंच पर सम्मानित किया गया, जिसने कहीं से कोई भी ट्रेनिंग नहीं ली है. बच्चा 9वीं क्लास का छात्र है नाम है नीरज सिक्का. नीरज का परिवार इतना सक्षम नहीं है कि उसे किसी अच्छे संस्थान में पेंटिंग का प्रशिक्षण दिला सके. आयोजक संस्था ‘झलका’ के प्रेसिडेंट सुब्रतो चक्रवर्ती ने बताया कि नीरज को उन्होंने कहीं उसकी कुछ पेंटिंग्स के देखा और यह निश्चय कर लिए कि उसे एक अच्छा प्लेटफार्म दिलाने का ज़रूर प्रयास करेंगे. आज इस मंच पर उसकी कुछ पेंटिंग्स लोगों ने देखी और उसकी सराहना की.
अभिभावक अपने बच्चों पर निगरानी रखें कि वे क्या कर रहे हैं -पूरबी घोष
मौके पर मुख्य अतिथि के तौर पर समारोह को संबोधित करते हुए वरिष्ठ समाजसेवी पुरबी घोष ने बच्चों के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा, कि नि:संदेह इनके अन्दर क्षमता है, जिसको पंख देने की ज़रूरत है. अभिभावकों को चाहिए कि वे इन पर अपनी मर्जी न थोपें. इन्हें आगे बढ़ने दें और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह कि बच्चों पर निगरानी रखें कि वे क्या कर रहे हैं.
कला की कद्र पूरी दुनिया में है -पार्थो घोष
विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद जाने-माने चित्रकार पार्थो घोष ने भी चित्रकारी की सूक्ष्मता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कला की कद्र पूरी दुनिया में है. बच्चों को सही मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ती है. इसके लिए अभिभावकों को सजग रहने की आवश्यकता है. उन्होंने नीरज सिक्का को भी प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यह लड़का अपने हुनर के दम पर बहुत आगे बढ़ सकता है. उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर उसे चित्रकारी की टिप्स देने का आश्वासन भी दिया.
बच्चा एक कच्चे घड़े की तरह होता है -सुरेन्द्र टुडू
सम्मानित अतिथि के तौर पर मंच पर मौजूद संताली फ़िल्म अभिनेता और निर्देशक सुरेन्द्र टुडू ने अपने जीवन संघर्ष को बयां करते हुए बच्चों की प्रतिभा की सराहना की. उन्होंने अपने बारे में उपस्थित लोगों को जानकारी देते हुए कहा कि कोई भी कार्य नामुमकिन नहीं होता, बशर्ते कि उसके लिए सही प्रक्रिया अपनाई जाय. बच्चा एक कच्चे घड़े की तरह होता है. उसे आप जैसा बनाना चाहें, बन सकता है.
अभिभावक अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें, तो बच्चा अपने सर्वश्रेठ दे सकता है -शशांक शेखर
अतिथि के रूप में आमंत्रित वरिष्ठ पत्रकार शशांक शेखर ने कहा कि टैलेंट को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. उन्होंने अपने जीवन में किये गए संघर्षों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि बच्चे के अन्दर क्या करने की अभिरुचि है, इसे नज़रंदाज़ न कर अभिभावक उन्हें प्रोत्साहित करें, तो बच्चा अपने सर्वश्रेठ दे सकता है. उन्होंने कहा कि यहां आए तमाम बच्चे चैंपियन हैं.
इससे पहले संस्था की तरफ से अतिथियों के स्वागत में एक समूह गान प्रस्तुत किया गया.
समारोह का संचालन सोमा मुखर्जी, संस्थापक सचिव सुखलाल सोरेन और संस्थापक अध्यक्ष सुब्रतो चक्रवर्ती ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में झलका के जुझार कालुंडिया और आशीष बांद्रा का भी विशेष योगदान रहा।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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