आयोजक है इंडिजीनियस पीपल्स आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी
युवा सम्पूर्ण कलाकार के रूप में स्थापित हों, यही प्रयास रहेगा-जीतराय हांसदा
अभिनय पर एक 15 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन जमशेदपुर में किया जा रहा है. आज 3 जुलाई सोमवार को इसकी विधिवत शुरुआत आदित्यपुर स्थित ‘आसमां’ (डांस अकेडमी) के हॉल की गई.इस एक्टिंग वर्कशॉप को इंडिजिनियस पीपल्स आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी द्वारा आयोजित किया गया है. इसमें अभिनय के गुर सीखने झारखण्ड समेत कई अन्य स्थानों से भी युवा आए हुए हैं.
आज इसके उद्घाटन के दिन इस मौके पर मुख्य रूप से वरिष्ठ रंगकर्मी शिवलाल सागर, संताली फिल्मों के सीनियर अभिनेता और निर्देशक दशरथ हांसदा, गंगारानी थापा, सुरेन्द्र टुडू, ‘आसमां’ के डायरेक्टर संजय सत्पथी, नाट्य व अभिनय प्रेमी सुबोध शरण, राजस्थान से आए अभिनेता व ट्रेनर नरेश पाल सिंह चौहान, असम से आई अभिनेत्री व ट्रेनर अरुन्धिता कुलिता, सोमाय मार्डी, राम चन्द्र मार्डी और जीतराय हांसदा मौजूद थे.
कला जगत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम
अभिनय का क्षेत्र एक अथाह सागर-शिवलाल सागर
उपस्थित वरिष्ठ अभिनेताओं और कलाकारों अपने अनुभव साझा करते हुए इसे कला जगत के लिए एक महत्वपूर्ण और आने वाले समय को देखते कारगर कदम बताया. शिवलाल सागर ने कहा, कि अभिनय की गहराइयों तक पहुँचने के लिए यह उम्र भी कम पड़ जाए. उन्होंने अपने संघर्ष की दास्तां सुनाई और प्रशिक्षुओं को पूरी तन्मयता से इन दो हफ्तों में ज्यादा से ज्यादा ग्रहण करने की सलाह दी. दशरथ हांसदा ने कहा, कि इस फील्ड में सबसे अधिक जिस चीज़ की ज़रूरत होती है, वह है कलाकार की ईमानदारी. इसके बिना सफलता नहीं मिल सकती. राजस्थान से आए नामचीन अभिनेता और ट्रेनर नरेश पाल सिंह चौहान ने कहा, कि जो भी अपने पास है, उन्हें हम देने की कोशिश करेंगे. आप कितना ले सकते हैं, यह आप पर निर्भर है.
शुरुआत में उन्हें भी कई बार दुत्कारा गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी-सुरेन्द्र टुडू
इस अवसर पर सुबोध शरण ने कहा, कि उनकी दिली ख्वाहिश थी अभिनय के क्षेत्र में जाने की, मगर किन्हीं कारणों से ऐसा हो न सका. फिर भी इसके प्रति लगाव हमेशा बना रहा. उन्होंने प्रशिक्षु युवाओं से इस कार्यशाला से अधिक से अधिक सीखने की अपील की. सुरेन्द्र टुडू ने भी अपने संघर्ष के दिनों के बारे में अपने खट्टे-मीठे अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा, कि शुरुआत में उन्हें भी कई बार दुत्कारा गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और हर कदम पर अपने से वरिष्ठ कलाकारों से सीखते गए और आज उन्हीं के आशीर्वाद से इस मुकाम पर हैं.
कैसे और कितने संघर्षों के बाद किसी कलाकार को कामयाबी मिलती है-संजय सत्पथी
आयोजक जीतराय हांसदा ने इसकी ज़रूरत पर प्रकाश डालते हुए कहा, कि शहर में काफी अरसे से रंगमंच है और अभिनय भी, लेकिन रचनात्मक पहल की कोशिशें कम ही हुई हैं. उन्होंने कहा, कि यहां से सीखकर युवा स्थापित सम्पूर्ण कलाकार बने, यही प्रयास रहेगा. गंगारानी थापा और संजय सत्पथी ने भी इस अवसर पर अपने कार्यों और उपलब्धियों के बारे में बताया, कि कैसे और कितने संघर्षों के बाद किसी कलाकार को कामयाबी मिलती है.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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