भारत ने आजादी के बाद से सिक्कों में काफी बदलाव देखा गया है. भारत में अलग अलग मूल्य के सिक्के चलाए है और अलग अलग डिजाइन से इन्हें बनाया गया. पिछले कुछ सालों में सिक्कों की डिजाइन में काफी बदलाव हुआ है और नए नए तरीकों के सिक्के अक्सर सामने आते रहते हैं. इन डिजाइनों में एक 2 रुपये का और 10 रुपये का सिक्का काफी अहम है. इन सिक्कों का आपने इस्तेमाल तो काफी किया होगा, लेकिन आप इनके पीछे की कहानी शायद ही जानते होंगे.
तो आज हम आपको बताते हैं कि ये वाले सिक्के क्यों खास थे और अब इस तरह के सिक्के बनना क्यों बंद हो गए हैं. जानते हैं भारत के सिक्कों से जुड़े कई ऐसे तथ्य, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं…
क्या खास है ये 2 रुपये के सिक्के में?
एपिक चैनल की एक डॉक्यूमेंट्री के अनुसार, बता दें कि साल 2006 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक दो रुपये का सिक्का बनाया. ये सिक्का पहले के दो रुपये के सिक्कों से काफी अलग था. इसके सिक्के में आपने देखा होगा कि पिछले हिस्से में कुछ लाइनें आपस में काट रही हैं. ये काटती लाइनें ही इस सिक्के की खास बात थी. साथ ही इसमें चार बिंदु भी दिखाई देते थे और ऐसा ही एक सिक्का 10 रुपये का था, जिसमें ये डिजाइन दी गई थी. आरबीआई का कहना था कि ये चार लाइनें चार अलग अलग लोगों के एक होने के भाव को दर्शाते हैं.
अब क्यों नहीं बनते ये सिक्के?
बता दें कि इस डिजाइन को लेकर विवाद हुआ और अब इस डिजाइन के सिक्के बाजार में नहीं आते हैं. इस पर कई लोगों ने आपत्ति दर्ज करवाई कि ये सिक्का ईसाई धर्म के क्रॉस को दर्शाता है. इस वजह से यह ज्यादा चलन में नहीं आ पाया और इस सिक्के को खत्म कर दिया गया. ऐसा ही 10 रुपये का सिक्का भी था, जो भारत का पहला ऐसा सिक्का था, जिसे दो धातुओं से मिलकर बनाया गया था.
कब से शुरू हुए सिक्के?
साल 1947 से लेकर 1950 तक भारत सरकार ने ब्रिटिश इंडियन के सिक्के ही काम में लिए थे. दरअसल, भारत में पहले सिक्के बनाने के लिए तीन टकसाल थीं. ये बहुत कम लोग जानते होंगे कि एक भारत तक भारत में चलन के सिक्के साउथ अफ्रीका के प्रेटोरिया सिटी में भी बनाए जाते थे.
किस चीज़ से बनते हैं सिक्के?
पहले हर सिक्के के हिसाब से अलग अलग मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता था. जैसे पहले एक रुपये, आधे रुपये और एक चौथाई रुपये के लिए निकल का इस्तेमाल होता था. वहीं, एक-आधा आने के लिए कुप्रोनिकल का इस्तेमाल होता था. एक पैसे के लिए पीतल का सिक्का बनता था. पहले भारत में आना वाले सिक्के आते थे, लेकिन फिर 1 अप्रैल 1957 से इस प्रणाली को बदल दिया गया और रुपये या पैसे के सिक्के रह गए. नए सिक्कों में भी अलग अलग धातुओं का इस्तेमाल होता था.
एक रुपये, 50 पैसे और 25 पैसे का सिक्का निकल से बनता था. वहीं, 2 पैसे, 5 पैसे और 10 पैसे के सिक्के क्यूप्रोनिकल से बनाए जाते थे. एक पैसे का सिक्का पीतल से बना था. इसके बाद सभी सिक्के इल्युमिनियम से बनाने लगे और बाद में अब स्टेनलेस स्टील से सिक्के बनाए जा रहे हैं.
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