पहले जर्मन अंतरिक्ष यात्री आलेग्जांडर गर्स्ट ने जब अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी तो वह रोमांचित थे. उन्होंने उससे पहले धरती की सैटेलाइट तस्वीरें ही देखी थीं लेकिन असली दृश्यों के मुकाबले तो वे कुछ भी नहीं थीं.
उन्होंने कहा, “जो ग्रह जो मुझे अपरिमित संसाधनों से लैस बड़ा ही विशाल ग्रह जैसा लगता था, उसे जब मैंने पहली बार अपनी आंखों से देखा तो वो अचानक ही एक बहुत ही फैले हुए अनन्त अंधकार में एक छोटा, डरावना सा बिंदु भर दिखने लगा. उस अनुभव ने मुझे पृथ्वी को अलग ढंग से देखने का अवसर दिया.”
गर्स्ट, 2014 में मई से नवंबर के दरमियान अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन की अभियान संख्या 40 और 41 का हिस्सा थे. जून 2018 में 56वें और 57वें अभियान में वह दोबारा अंतरिक्ष यात्रा पर गए.
जलवायु संकट के समाधान मुहैया करा सकती
14वें यूरोपीय अंतरिक्ष सम्मेलन में वक्ता के रूप में शामिल गर्स्ट ने कहा कि अंतरिक्ष की खोज जलवायु संकट के लिए एक समाधान मुहैया करा सकती है, जो यह है कि एक कदम पीछे रख कर “बाहर से समस्या को” देखने की जरूरत है. उन्होंने कहा, “हम अंतरिक्षयात्रियों को वो नजारा, नजरिए में वो बदलाव, वापस धरती पर लेकर आना होगा.”
नई प्रौद्योगिकियों में खर्च होता अंतरिक्ष का बजट
अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए यूरोपीय संघ के बजट का एक मोटा हिस्सा चाहिए, और गर्स्ट के मुताबिक इतना तो बनता ही है. उनका कहना है कि अंतरिक्ष अन्वेषण में काम आने वाली प्रौद्योगिकियों को विकसित करने का लाभ सिर्फ अंतरिक्ष में मानव जीवन को स्थापित करने तक महदूद नहीं है.
गर्स्ट कहते है कि अंतरिक्ष के अनुभव शोधकर्ताओं को “ऐसी प्रौद्योगिकियां बनाने में मदद कर सकते हैं जिनका इस्तेमाल हम धरती में कर सकते हैं, वे चीजें, जो इस धरती को बचाने के लिए हमें चाहिए.”
वह कहते हैं कि अंतरिक्ष में ऐसे अध्ययन किए गए हैं जिनमें ये छानबीन की गई है कि पौधे की जड़ें आखिर ये कैसे जानती हैं कि किस दिशा में उगना है. इस प्रश्न पर भरपूर माथापच्ची जारी है ताकि ऐसे पौधे विकसित किए जा सकें जो सूखी मिटटी में गहरे पानी को खोजने में ज्यादा तेजी के साथ अपनी जड़ों को उगा सकें.
वह बताते हैं, “ये चीज उस वक्त बड़े काम आएगी जब जलवायु परिवर्तन बहुत सारे इलाकों को वाकई बदल देगा, जो पहले हरे-भरे थे और अब सूखे हैं.”
‘हम सब चश्मदीद हैं‘
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेर लेयन के साथ पिछले सप्ताह अंतरिक्ष से एक वर्चुअल इंटरव्यू के दौरान जर्मन अंतरिक्षयात्री और पदार्थ विज्ञानी मथियास माउरर ने अंतरिक्ष से जलवायु संबंधित कई ब्यौरों ओर इंगित किया था. वह छह महीने के स्पेस एक्स साइंस मिशन के तहत इन दिनों अंतरिक्ष में हैं.
धरती से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में उड़ान भरते हुए और दिन में 16 बार धरती का चक्कर काटते हुए माउरर कहते हैं कि वे कटे-फटे और जले हुए जंगल, सूखा और झीलें देख सकते हैं. वह कहते हैं, “हम ये भी देख सकते हैं कि मानव खनन ने धरती की सतह को किस कदर खुरच कर रख दिया है.”
माउरर के मुताबिक वह वास्तविक समय में प्राकृतिक घटनाओं को होता हुए भी देखने में समर्थ हैं, जैसे कि हाल में ब्राजील में आई बाढ़ या टोंगा में पानी के नीचे ज्वालामुखी के फटने की घटना. उन्होंने कहा, “कॉपरनिकस के जुटाए पृथ्वी के पर्यवेक्षण डाटा पर राजनीतिज्ञों को अमल करना चाहिए.”
बहुत सारा अंतरिक्ष कबाड़
अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़ा एक मुद्दा अक्सर उठता है, वो है अंतरिक्ष में फैला कचरा. आशंका है कि ज्यादा से ज्यादा निजी कंपनियों में चांद पर जाने की होड़ मची है जैसे कि अरबपति ईलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स है. इस होड़ में अंतरिक्ष में और कबाड़ बिखरने का डर है.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी के अंतरिक्ष मलबे पर जनवरी 2022 में जारी अपडेट के मुताबिक अंतरिक्ष निगरानी के नेटवर्क के जरिए करीब 30,600 बेकार चीजें नियमित रूप से ट्रैक की जाती हैं. माउरर का कहना है कि दो सप्ताह पहले ही उनके अंतरिक्ष स्टेशन को ऐसे ही मलबे के ढेर से टकरा जाने की चेतावनी मिली थी. धरती पर स्थित स्टेशन की टीम को इस बात की गणना करनी पड़ी थी कि वो मलबा क्या वाकई अंतरिक्ष स्टेशन से टकराएगा.
वह कहते हैं, “ये दिखाता है कि अंतरिक्ष में बहुत सारा मलबा बिखरा हुआ है और यह एक बहुत महत्त्वपूर्ण विषय है, न सिर्फ आईएसएस के लिए क्योंकि ये मलबा हमें जोखिम में डालता है, बल्कि इसलिए भी क्योंकि हमारे पास अपेक्षाकृत पुराने उपग्रह हैं.”
माउरर ने ये भी पाया कि भविष्य में अंतरिक्ष कबाड़ से बचने के लिए कार्रवाई की जरूरत है. ईएसए ने ऐलान किया है कि 2030 तक वह अंतरिक्ष मलबे को लेकर एक नेट हिस्सेदारी को दर्ज करना चाहती है. माउरर ने कहा कि इसका मतलब ये भी होगा कि अंतरिक्ष से बहुत सारा पुराना कबाड़ हटाना पड़ेगा और नये मलबे की आमद को भी कम करना होगा.
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