SUCCESS STORY
नींबू उत्पादकों के गांव की पहचान रखता है डुमरिया प्रखंड का बारूनिया,
शिवचरण के अलावा 50 अन्य किसान भी नींबू उत्पादन से जुड़े हैं
नींबू की खेती में सफल किसान शिवचरण पाड़ेया के सफलता की कहानी आज जिले के दूसरे किसानों के लिए प्रेरणा बनकर उभरी है। डुमरिया प्रखण्ड मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी पर बसा बारूनिया गांव घने जंगलों से घिरा हुआ है । पूरा गांव कृषि पर निर्भर है । पाड़ेया परिवार भी किसान परिवार है लेकिन शिवचरण पाड़ेया के पिता की एक पहल ने पूरे गांव की पहचान बदलकर रख दी है । बारूनियां गांव आज नींबू उत्पादकों के गांव के रूप में जाना जाता है ।
कुल मिलाकर प्रति वर्ष लगभग दो लाख रुपए तक होती है आमदनी
शिवचरण के पिता ने करीब 20 साल पहले 200 बारहमासी काब्जी नींबू के पौधे लगाए थे, जो अभी 160 की संख्या में बड़े पेड़ होकर फल दे रहे हैं । शिवचरण बताते हैं कि शुरूआत के समय में साईकिल से घाटशिला, मुसाबनी, डुमरिया और ओड़िशा के बहलदा, बदामपहाड़ और रायरंगपुर तक नींबू बेचते थे, उस समय नींबू की कीमत 20-30 पैसे मिलता था। अभी 1 नींबू 3-5 रूपए में बिकता है, जिससे सालाना लगभग डेढ़ लाख रू. की आमदनी कर लेते हैं।
इसके अलावा बकरी पालन और सब्जियों की खेत से भी प्रति वर्ष लगभग 50,000 आमदनी करते हैं, कुल मिलाकर प्रति वर्ष लगभग दो लाख रुपए तक आमदनी होती है।
शिवचरण अपने व्यापार का दायरा बढ़ा रहें हैं
शिवचरण अपने व्यापार का दायरा बढ़ा रहें हैं। इनके पास 100X100 का एक तालाब है, जिससे पटवानी करते हैं। एक वर्ष में दो बार तोड़ाई करते हैं, पहला अक्टूबर-नवम्बर में तथा दूसरा जून-जुलाई में । 50 किलो वाले बोरा में लगभग 1200 नींबू आ जाता है और एक तोड़ाई में लगभग 18-20 बोरियां हो जाती है। वर्तमान में नींबू की मांग काफी है और कीमतों में भी उछाल आने से नींबू उत्पदाकों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हुई है।
नींबू उत्पादन बढ़ा, तो उत्पाद को बचाने के लिए मिला कोल्ड स्टोरेज का सहारा
शिवचरण कहते हैं कि नींबू उत्पादन बढ़ा और बाजार भी मिलने लगा तो चुनौती नींबू को खराब होने से बचाने की थी। कृषि विभागीय आत्मा के प्रसार कर्मियों के संपर्क में आने के बाद कोल्ड स्टोरेज के बारे में पता चला । सहकारिता विभाग, पूर्वी सिंहभूम द्वारा पश्चिम बादिया लैम्पस में कोल्ड स्टोरेज का निर्माण खास तौर से ग्रामीण क्षेत्र के किसानों के लिए स्थापित किया गया है जिसका लाभ बारूनियां के सभी नींबू उत्पादक किसान भी उठा रहे हैं।
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अंतर्राज्यीय स्तर पर नींबू विपणन की योजना पर कार्य कर रहा प्रशासन
शिवचरण का कहना है कि यदि सरकारी सुविधा का लाभ उठाते हुए वैज्ञानिक तरीके से खेती किया जाए तो गांव के लोगों को पलायन नहीं करना पड़ेगा । प्रखंड विकास पदाधिकारी, डुमरिया श्री साधुचरण देवगम, कृषि, उद्यान, आत्मा व नाबार्ड के पदाधिकारियों ने बारूनिया गांव का दौरा कर किसानों को हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाने के साथ साथ सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए लगातार प्रेरित करते रहे हैं। बारुनिया के किसानों से संपर्क कर नींबू के अन्तर्राजकीय स्तर पर विपणन की योजना पर कार्य किया जा रहा है।
निश्चित ही बारूनिया गाँव के अलावे आसपास के अन्य गांवों में नींबू की खेती करने वाले किसानों को आने वाले समय में इसका लाभ मिलेगा ।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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