नाम -मिठू महतो
समूह का नाम – मिलन सिकड़ी आजीविका सखी मण्डल
PG का नाम – रायडीह आजीविका उत्पादक
गांव का नाम – रायडीह
पंचायत का नाम – मातकमडीह
प्रखंड का नाम – चांडिल
जिला का नाम – सरायकेला-खरसावां
परियोजना का नाम – जोहार परियोजना
गतिविधि का नाम – उन्नत क़ृषि
सफलता की कहानी-मिठू महतो की ज़ुबानी
मैं मिठू महतो सरायकेला जिले के चांडिल प्रखंड अंतर्गत रायडीह गाँव की निवासी हूँ। उत्पादक समूह मे जुड़ने से पहले मै केवल एक गृहणी थी,मेरी कोई अपनी आय नही थी मै पैसे के लिए अपने पति पर निर्भर रहती थी।मेरी अपनी खेत होने के बावजूद भी किसी भी सीजन मे सही तरीके से खेती नही कर पाती थी, मै अपने खेत मे पारंपरिक धान की खेती करती थी जिससे सालभर खाने के लिए किसी तरह अनाज हो पता था एवं विभिन्न कार्यो मे हमेशा पैसे की कमी होती थी जैसे खेती की गयी फसलों मे पैसे के अभाव मे उर्वरक की कमी,बीमार लगे फसलों मे कीटनाशक का छिड़काव ना कर पाना,साथ हि बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा पैसे की कमी होना।
मै अपने घरों की कमी को पूरा करने के लिए खेती के साथ-साथ मजदूरी का भी कार्य करती थी।
समूह मे जुड़ने के बाद की स्थिति
उत्पादक समूह मे जुड़ने से पहले सबसे पहले मैं उत्पादक समूह SHG से जुडी. तब से साप्ताहिक 10 रुपया का बचत करती आ रही हूँ। मैं जुलाई 2019 मे जोहार परियोजना के अंतर्गत रायडीह आजीविका समूह से जुडी, क़ृषि मित्र जोहार परियोजना के तहत जिला के प्रखंड स्तर क़ृषि सम्बंधित प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने गाँव के उत्पादक समूह में जुडी एवं सभी दीदियों को बैंगन, टमाटर, मिर्चा, भिंडी आदि सब्जी की खेती के बारे में प्रशिक्षण देने लगी।
कृषि मित्र के रूप में
अपने गांव में 56 किसानों के लिए आजीविका कृषि मित्र के रूप में सेवाएं दे रही हूं। जोहार परियोजना की ओर से मुझे ₹3300 सहयोग राशि के रूप में प्राप्त हुआ है प्राप्त राशि से कई प्रकार के सब्जी खेती कर रही हूं जैसे- भिंडी, खीरा, टमाटर, बैंगन आदि लगभग 45 डिसमिल जमीन में लगा हुआ है जिससे बीज,खाद,हल जूताई के लिए कुल खर्चा ₹2000 हुआ है।सब्जी की खेती के साथ-साथ में फलों की बागवानी पपीता, आम,अमरूद आदि का कार्य भी करती हूं, जिससे मेरे परिवार की काफी आमदनी हो रही है. कृषि मित्र द्वारा दी गई प्रशिक्षण के अनुसार मेरे गांव के कई दीदी उन्हें सब्जी की खेती की है जो पहले की तुलना में काफी ज्यादा मुनाफा कमा रही हैं।यह फसल खरीफ के अंतर्गत आता है जिसे अब तक मेरे द्वारा ₹45000 का सब्जी एवं ₹1000 का फल बिक्री हुई है, अभी भी बिक्री का कार्य चल रहा है तथा साथ ही पूर्ण मात्रा में घर में भी खाने के लिए अनाज हो रहा है. घर की सब्जी से आमदनी होने पर मेरे परिवार का एवं हमारे गांव के उत्पादक समूह में जुड़े सभी दीदियों का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है और आगे भी उन्होंने अच्छे से खेती करने का निर्णय लिया है।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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