स्वास्थ्य मंत्रीजी! यह आपके क्षेत्र का सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम का हाल है। यहां मरीजों को इलाज तो दूर बेड तक नसीब नहीं हो रहे हैं। ऐसे में मरीज तड़प-तड़प कर मर रहे हैं। यह मामला केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री तक पहुंच गया है। दरअसल, झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से मुलाकात कर शिक्षक दिवस के दिन घाटशिला निवासी (गणित शिक्षक) उज्जवल गुइन का एमजीएम में इलाज ना होने से हुए मौत की ओर से ध्यान आकृष्ट कराया।
सड़क दुर्घटना में शिक्षक की हो गई थी मौत
दरअसल, पांच सितंबर को घाटशिला के जेसी स्कूल के शिक्षक उज्जवल गुइन सड़क दुर्घटना में घायल हो गए। इसके बाद उन्हें एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया लेकिन यहां न तो बेड मिला और न ही उन्हें समय पर इलाज शुरू हो सका। इस दौरान शिक्षक फर्श पर तड़पते रहे। लगभग आधे घंटे तक जब उन्हें बेड नहीं मिली तो उन्हें टीएमएच ले जाया गया, जहां पर उनकी मौत हो गई। लोगों का कहना है कि अगर समय पर शिक्षक का इलाज शुरू हो जाता तो उनकी जान बच सकती थी। यह स्थिति अगर जल्द ही नहीं बदली तो न जाने कितने लोगों की मौत इसी तरह होते रहेगी। ऐसे में देखना है अब कार्रवाई क्या होती है।
स्वास्थ्य मंत्री पर बिफरे कुणाल षाड़ंगी
कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि एमजीएम की बढ़ती बदहाली से यह झारखंड के माथे पर कलंक के रूप में स्थापित हो चुका है। उन्होंने एमजीएम में लगातार हो रही ऐसी घटना पर केंद्र सरकार की सीधी पहल की मांग की है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वे जल्द ही राज्य के विभागीय पदाधिकारियों के साथ इन सभी विषयों पर समीक्षा करेंगे। एमजीएम में शिक्षक को इलाज नहीं मिलने वाली वीडियो इंटरनेट मीडिया तेजी से वायरल हो रही है। वहीं, इसे लेकर घाटशिला के लोगों में भारी आक्रोश है। लोग, शिक्षक की मौत का जवाब मांग रहे।
झारखंड में आयुष्मान योजना की दयनीय स्थिति से कराया अवगत
कुणाल षाड़ंगी ने झारखंड राज्य में आयुष्मान योजना की दयनीय स्थिति व स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी पर भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को संज्ञान लेने का आग्रह किया। कुणाल ने कहा कि आयुष्मान भारत केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। झारखंड में इसका लाभ समुचित रोगियों को नहीं मिल पा रहा है। अधिकांश निजी अस्पतालों ने इलाज करने से मना कर दिया है।
ऐसे में मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। कुणाल ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि क्या केंद्र सरकार के स्तर पर यह राशि लंबित है। इसपर स्वास्थ्य मंत्री ने अपने सचिव से वास्तविक स्थिति की जानकारी ली। सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से पूरी राशि राज्य में कार्यरत बीमा कंपनी को प्रीमियम के साथ भुगतान कर दी गई है। अस्पतालों को राशि का भुगतान राज्य स्तर से होना है।
उधर, एमजीएम अधीक्षक डा. रवींद्र कुमार ने कहा कि घटना की जानकारी मुझे नहीं है। अगर ऐसी बात थी तो मुझे तत्काल बताना चाहिए था। उस दिन नेशनल मेडिकल कमीशन की भी टीम आई थी। ऐसे में मैं कई बार इमरजेंसी सहित अन्य विभागों में जाता रहा। फिर भी मेरे संज्ञान में नहीं आई। फिर, घटना दुखद है। इसकी जांच कराई जाएगी।
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