शहर में 80 से अधिक बड़े-छोटे पैथोलॉजी सेंटर चल रहे हैं। इनका रजिस्ट्रेशन सही है अथवा नहीं, मानकों के अनुसार ये चल रहे हैं या नहीं, इसकी कभी जांच नहीं होती। स्वास्थ्य विभाग के पास यह आंकड़ा भी नहीं है कि जिले में कितने पैथोलॉजी सेंटर संचालित हो रहे हैं।
कोरोना काल में जहां-तहां पैथोलॉजी सेंटर खुल गए थे, जिन्होंने जांच के नाम पर लोगों से मनचाहे पैसे की वसूली की। विभाग की ओर से पैथोलॉजी जांच का रेट भी निर्धारित नहीं है। मानगो और बिरसानगर इलाके में एक छोटे कमरे में पैथोलॉजी सेंटर चल रहा है और वहां हर प्रकार की जांच होती है, ऐसा दावा करने वाला साइन बोर्ड भी लगाया गया है। इनके पास जांच के सारे उपकरण तक नहीं हैं। शहर में चलने वाले 70 प्रतिशत पैथोलॉजी सेंटर अप्रशिक्षित तकनीशियन के भरोसे हैं, जबकि पैथोलॉजी को इसके विशेषज्ञ चिकित्सक संचालित करते हैं। डॉक्टर के नाम से बनी मुहर से तकनीशियन रिपोर्ट जारी कर देते हैं। इस कारण आए दिन पैथोलॉजी सेंटर की रिपोर्ट पर सवाल उठते रहते हैं। अलग-अलग पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट में भी भिन्नता रहती है।
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