डॉलर की विनिमय दर और सोने की कीमत में उल्टा संबंध है. यानी जब डॉलर दुनिया की दूसरी करेंसी के मुकाबले मजबूत होता है तो सोने की कीमतें कम होती हैं. सोने में निवेश का सबसे बढ़िया समय तब होता है, जब सोने की मांग तेज हो और डॉलर में गिरावट आ रही हो. अगर सोने में तेजी का रुख है और साथ ही चांदी भी तेज है, तो इसका मतलब है कि सोने की कीमतों उछाल स्थाई होगा. अगर सोने के अनुरूप चांदी में तेजी नहीं है, तो सावधान रहिए.
जब क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ती हैं तो सोना भी महंगा होता है. दरअसल सोने को महंगाई के प्रति अच्छा हेज माना जाता है. चूंकि कच्चे तेल के महंगे होने से महंगाई बढ़ती है, इसलिए सोने की कीमतों पर भी इसका असर पड़ता है. लोग सोने में उस समय भी निवेश बढ़ा देते हैं, जब दूसरे निवेश के साधनों से उन्हें उम्मीद के मुताबिक रिटर्न नहीं मिलता है. ऐसे में अगर शेयर बाजार में तेजी थमी हुई है, तो बहुत संभव है कि सोने की कीमत बढ़ेगी.
इसी तरह अगर शेयर बाजार में जोरदार रिटर्न मिल रहा है तो सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है. इसके अलावा सोने की सप्लाई, केंद्रीय बैंक द्वारा सोना खरीदने या बेचने का फैसला, आर्थिक दशाएं जैसे कारकों से सोने की मांग तय होती है और इसका असर सोने की कीमतों पर देखने को मिलता है.
इन बातों को ध्यान में रखकर आप सोने में निवेश का फैसला कर सकते हैं. गौरतलब ये भी है कि ऊपर बताई गई बातों में ज्यादातर इस समय सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का संकेत दे रही हैं, हालांकि बाजार में मुनाफा कमाने के लिए आपको इन पर लगातार नजर बनाए रखने की जरूरत है.
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