स्वतंत्रता दिवस पर झारखंड ने अपने दो जांबाजों को खो दिया। कोल्हान जंगल में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में झारखंड जगुआर के एसआई अमित तिवारी और जवान गौतम कुमार शहीद हो गए। अमित तिवारी पलामू के विश्रामपुर के तोलरा गांव के रहने वाले थे, जबकि गौतम कुमार बिहार के भाेजपुर जिले के शाहपुर रंधाडीह के थे। बुधवार शाम दोनों का अंतिम संस्कार किया गया।
कोल्हान जंगल में 11 जनवरी से ही पारा मिलिट्री के छह बटालियन के जवान नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रहे हैं। सुरक्षाबलों ने नौ अगस्त को शीर्ष नक्सली नेता मिसिर बेसरा का बंकर ध्वस्त कर दिया था। इससे नक्सली गुस्से में हैं। 14 अगस्त को सुरक्षाबलों की टीम कोल्हान की सबसे ऊंची चोटी सरजोमबुरू कैंप से पटातोरब होकर तुम्बाहाका तक सर्च अभियान चला रही थी। लौटते समय उनकी नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई। दोनों ओर से करीब आधे घंटे तक फायरिंग हुई। अंधेरा होने की वजह से पांच सुरक्षाकर्मी भटक गए।
इनमें सीआरपीएफ के तीन जवान तो देर रात कैंप में लौट आए, लेकिन झारखंड जगुआर के अमित तिवारी और गौतम कुमार वहीं फंस गए। इसी दौरान नक्सलियों ने उन्हें गोली मार दी। अमित तिवारी को आठ गोलियां लगीं, जबकि गौतम को तीन गोलियां लगीं। सोमवार सुबह दोनों के शव मिले।
झारखंड जगुआर के एसआई व भोजपुर के जवान शहीद
अमित तिवारी अपनी पत्नी पूजा और छह वर्षीय बेटी गरिमा के साथ सामलौंग स्थित स्वर्णरेखा गार्डेन अपार्टमेंट में रहते थे। उनकी ससुराल सामलौंग बेलबगान में है। घटना से छह दिन पहले 9 अगस्त को पूजा ने बेटे का जन्म दिया था। अमित के ससुर विधानंद तिवारी ने कहा कि जब पूजा बच्चे को जन्म दे रही थी, तब अमित जंगल में नक्सलियों से लोहा ले रहे थे। उन्हें फोन पर बेटा होने की सूचना दी तो उन्होंने 16 अगस्त को रांची आने की बात कही थी। रोज अपने बेटे को वीडियो कॉल पर देखते थे। सर्च अभियान पर निकलने से आधा घंटा पहले भी उन्होंने वीडियाे कॉल पर बेटे को देखा था।
जहां नक्सलियों से मुठभेड़ हुई वहां 10 फीट चौड़ी कच्ची सड़क, मोबाइल नेटवर्क भी नहीं
जहां मुठभेड़ हुई, वहां की भौगोलिक स्थिति काफी दुर्गम है। चारों ओर जंगल और घाटी है। 10 फीट चौड़ी कच्ची सड़क है लेकिन वहां मोबाइल नेटवर्क नहीं मिलता। अंधेरा होने की वजह से ही सुरक्षाकर्मी भटक गए थे। उधर, कोल्हान की सबसे ऊंची चोटी सरजोमबुरू गांव के पास कोबरा 209 बटालियन ने कैंप लगा रखा है, जहां नक्सली मिसिर बेसरा का पहला कैंप था। 14 अगस्त को मिसिर बेसरा की कोट टीम ने छोटी टीम बनाकर गुरिल्ला तरीके से हमला किया।
दो साल पहले लांजी में भी शहीद हुए थे 3 जवान
झारखंड जगुआर के जवान राेड ओपनिंग पार्टी यानी आरओपी के दाैरान पहले भी प. सिंहभूम जिले में शहीद हाे चुके हैं। 4 मार्च 2021 काे टाेकलाे के लांजी पहाड़ी में माैजूद सीआरपीएफ के कैंप तक जाने के लिए खाेले गए आरओपी में झारखंड जगुआर के तीन जवान आईईडी ब्लास्ट में शहीद हाे गए थे। उस समय ये भी माना गया था कि आरओपी के दाैरान जवानों ने सेफ्टी प्राेटाेकाॅल का उल्लंघन किया था। इसी वजह से उनकी जान गई।
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!