मॉब लिंचिग की ऐसी ही घटनाएं देश के दूसरे हिस्सों में भी हुई थीं। उसी दौरान साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए राज्य सरकारों को कड़े क़ानून बनाने के लिए कहा था. इसके बाद पश्चिम बंगाल और राजस्थान की सरकारों ने ऐसे क़ानून बनाए भी।
झारखंड देश का तीसरा राज्य
झारखंड देश का ऐसा तीसरा राज्य है जहां मॉब लिंचिग की घटनाओं पर क़ाबू पाने के लिए क़ानून बनाया जाने वाला है। इत्तेफ़ाक़ से ये तीनों राज्य ग़ैर-बीजेपी शासित हैं।यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि बीजेपी नेताओं पर मॉब लिंचिंग में शामिल अभियुक्तों को मदद करने के आरोप लगते रहे हैं।
‘द झारखंड (प्रिवेंशन आफ़ मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग) बिल-2021’ झारखंड विधानसभा के मौजूदा शीतकालीन सत्र (16-22 दिसंबर) में लाया जाएगा।यह विधेयक आसानी से पास भी हो जाएगा क्योंकि विधानसभा के आंकड़े झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की साझा सरकार के पक्ष में हैं. उनके 82 में 49 विधायक हैं।
झारखंड के मॉब लिंचिंग प्रिवेंशन बिल की ख़ास बातें
विधानसभा में पेश किए जाने वाले ‘द झारखंड (प्रिवेंशन आफ मॉब वायलेंस एंड लिंचिंग) बिल 2021’ के अंतिम ड्राफ्ट की एक कॉपी बीबीसी को मिली है। इसके मुताबिक मॉब लिंचिंग में मौत होने की स्थिति में इसके लिए दोषी पाए गए अभियुक्तों को कठोर आजीवन कारावास की सज़ा दी जाएगी और उनपर न्यूनतम 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकेगा।
इस बिल में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार आइजी (पुलिस महानिरीक्षक) स्तर के अधिकारी को राज्य का समन्वयक बनाए जाने का प्रावधान है, जो नोडल अफ़सर कहे जाएंगे। उन्हें महीने में कमसे कम एक बार सभी ज़िलों के उन अधिकारियों के साथ बैठक करनी होगी, जिनपर ऐसी घटनाओं की रोकथाम या उनकी ख़ुफ़िया जानकारी जुटाने का दायित्व होगा।हर ज़िले में एसपी या एसएसपी स्तर के अधिकारी ही को-ऑर्डिनेटर का काम करेंगे।
इस ड्राफ्ट में मॉब को परिभाषित करते हुए लिखा गया है ‘दो या दो से अधिक लोगों का समूह मॉब कहा जाएगा।लिंचिग का मतलब हिंसा या हिंसा की क्रमवार की गईं वैसी घटनाओं से लगाया जाएगा, जिनके कारण किसी की बुरी तरह पिटायी, उनकी विकलांगता या मौत तक हो।
बंगाल और राजस्थान से कितना अलग है झारखंड का बिल
मॉब लिंचिंग को लेकर पश्चिम बंगाल और राजस्थान सरकारों द्वारा बनाए गए क़ानूनों और झारखंड के प्रस्तावित विधेयक में कई समानताएं हैं।बीबीसी के पास इन दोनों राज्यों के विधेयकों का भी ड्राफ्ट मौजूद है।
इसके मुताबिक पश्चिम बंगाल में मॉब लिंचिग के दोषियों के लिए फांसी तक की सज़ा और राजस्थान में उम्रक़ैद का प्रावधान किया गया है।पश्चिम बंगाल और राजस्थान दोनों ही राज्यों में मॉब लिंचिंग में मौत होने की हालत में दोषियों पर जुर्माने की अधिकतम रक़म पांच लाख रुपये रखी गई है।
झारखंड में मॉब लिंचिंग में घायल होने पर अधिकतम 3 साल की सज़ा और नयूनतम एक लाख रुपये जुर्माना और मॉब लिंचिंग में मौत होने पर न्यूनतम कठोर आजीवन कारावास और अभियुक्तों पर कमसे कम 25 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जुर्माने की रक़म के मामले में झारखंड मॉब लिंचिंग रोकथाम क़ानून, पूर्ववर्ती दोनों राज्यों से अलग है।
सौजन्य – बीबीसी
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