केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मॉनसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए. इसमें भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 शामिल हैं. ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. नए प्रावधानों के तहत अब पहचान छिपाकर किसी महिला से शादी करने या शादी, पदोन्नति और रोजगार के झूठे वादे के तहत यौन संबंध बनाने पर 10 साल तक की कैद हो सकती है.
लोकसभा में पेश विधेयक में पहली बार इन अपराधों को लेकर एक विशिष्ट प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है. नए प्रावधान में ऐसे अपराध का भी जिक्र किया गया है, जिसे कई सत्तारूढ़ दल के नेताओं द्वारा “लव जिहाद” का नाम दिया गया है. वहीं, एक्सपर्ट्स का मानना है कि नए प्रावधान को लव जिहाद पर लगाम के तौर पर भी देखा जा रहा है. क्योंकि इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें आरोपियों ने अपनी असली पहचान छिपाकर छलपूर्वक महिलाओं के साथ वारदात को अंजाम दिया है.
नए कानून में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अगर कोई पुरुष धोखेबाज़ी का सहारा लेकर महिला से शादी करने का वादा करके यौन संबंध बनाता है, तो यह अपराध माना जाएगा. पहचान छिपाने को “धोखेबाज साधनों” की परिभाषा में शामिल किया गया है. बता दें कि किसी महिला के साथ यौन संबंध बनाने के लिए अपनी धार्मिक पहचान के बारे में झूठ बोलने वाले व्यक्ति को भी कानून के दायरे में लाया जाएगा. इसके लिए सजा का प्रावधान किया गया है जो 10 साल तक की हो सकती है और व्यक्ति को जुर्माना भी देना होगा.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में इस विधेयक को पेश करते हुए कहा कि ऐसे लोग थे, जिन्होंने यौन संबंध बनाने के लिए गलत पहचान दी थी. लेकिन पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार इसे अपराध की श्रेणी में ला रही है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां महिलाएं सहमति से बने रिश्ते में शादी के वादे पर यौन संबंध बनाने के लिए “सहमति” देती हैं, या जिस व्यक्ति के साथ वे “रिश्ते” में हैं, उसकी उम्र, वैवाहिक स्थिति या अन्य पहचान के बारे में उन्हें धोखा दिया गया है. इसके साथ ही ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां आरोपियों ने अपने धर्म और पहचान के बारे में झूठ बोला, ऐसी स्थिति में यौन संबंध के लिए सहमति दिए जाने के भी दावे किए गए हैं.
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