पूर्व की हमारी परंपराएं और विरासत संस्कृत माध्यम में ही संजो के रखी गई है
स्वाभाविक रूप से संस्कृत भाषा अतिप्राचीन काल से वर्तमान संदर्भ में भी प्रासंगिक है, किंतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने पर इसकी महत्ता और बढ़नेवाली है। भारतीय ज्ञान परंपरा को केंद्र में रखनेवाली एनईपी संस्कृत भाषा और साहित्य को प्रमुख स्थान दे रही है। पूर्व की हमारी परंपराएं और विरासत संस्कृत माध्यम में ही संजो के रखी गई है। वर्तमान या आनेवाले दिनों में भी संस्कृत भाषा का ज्ञान रखनेवाले एनइपी 2020 के उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे। जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में संस्कृत विभाग एक सुसज्जित एवं संस्थापित विभाग है। यूनिवर्सिटी के अलावा जमशेदपुर शहर में सुदूर ग्रामीण एवं शहरी, सभी क्षेत्रों से छात्राएं विभिन्न महाविद्यालयों एवं विद्यालयों में अध्ययन अध्यापन कर रही हैं।
संस्कृत विषय के साथ शिक्षण क्षेत्र, सेना आदि क्षेत्रों में रोजगार के सुअवसर प्राप्त हो सकते हैं – प्रो.(डॉ.) अंजिला गुप्ता,
कुलपति प्रो.(डॉ.) अंजिला गुप्ता ने संस्कृत भाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि “यूनिवर्सिटी में संस्कृत विषय के अध्ययन के पश्चात छात्राओं को आधुनिक परिपेक्ष्य में बहुआयामी विकल्प उपलब्ध है, जैसे – शिक्षण क्षेत्र, सेना में धर्मगुरु, संघ लोक सेवा आयोग, विभिन्न राज्य लोक सेवा आयोग, पुरातत्व विभाग आदि। संस्कृत विषय के साथ इन सभी क्षेत्रों में रोजगार के सुअवसर प्राप्त हो सकते हैं। संस्कृत को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में आधुनिक भारतीय भाषा के रूप में शामिल किया गया है। त्रिभाषा सिद्धांत के अंतर्गत हिंदी भाषी क्षेत्रों में इसे वृहद पैमाने पर विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। इस कारण शिक्षिका बनने की इच्छुक छात्राओं के लिए यह विषय अत्यंत ही लाभदायक है।”
कई अन्य देशों में भी होती है संस्कृत की पढाई
भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्वीडन, जापान, थाईलैंड आदि देशों में भी संस्कृत की पढ़ाई होती है। संस्कृत भारतीय संस्कृति की प्राणस्वरूप भारतीय धर्म और दर्शन ज्ञान देनेवाली विश्व की सभी भाषाओं में प्राचीनतम तथा सर्वमान्य रूप से ग्रहण की गई भाषा है। संपूर्ण वैदिक–वांग्मय, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृति, दर्शन, महाकाव्य, नाटक, व्याकरण, अर्थशास्त्र, ज्योतिष आदि संस्कृत भाषा में ही गौरवशाली परंपरा को प्रदर्शित करते हैं। बौद्ध धर्म के मूल विचार प्राच्य दर्शन की उत्पत्ति, इतिहास, भाषा विज्ञान और संस्कृति की बेहतर समझ के लिए संस्कृत के मौलिक साहित्य को पढ़ना जरूरी है, क्योंकि यह सबसे पहले हुई खोजो और विचारों में से एक तो है ही साथ ही अनेक ऐसी मौलिक खोजों को जानने का माध्यम भी है।
संस्कृत को विश्व की सबसे पुरानी भाषा होने का सम्मान तो मिला ही है, वहीं दूसरी ओर विज्ञान सम्मत व्याकरण होने के कारण इसे सर्वाधिक परिष्कृत भाषा होने का गौरव भी प्राप्त है।
कई देशों में नर्सरी से ही बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाती है
संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता का अध्ययन करके ही नासा ने 1967 ई. में संस्कृत को कंप्यूटर के लिए सर्वोत्तम भाषा घोषित कर दिया था, जिस कारण आज उसे संस्था के द्वारा संस्कृत में सतत शोध किए जा रहे हैं। पाश्चात्य भाषा वैज्ञानिकों ने पाणिनी व्याकरण को मानवीय बुद्धिमता की सर्वोत्कृष्ट रचना कहा है। संस्कृत में इतनी वैज्ञानिकता होने के कारण ही अमेरिका, रूस, स्वीडन, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, ऑस्ट्रिया आदि देशों में नर्सरी से ही बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाती है। भारत से बाहर संस्कृत पूरी दुनिया के 250 से भी ज्यादा विश्वविद्यालय में पढ़ाई जा रही है, यहां की नई शिक्षा नीति जो प्राचीन ज्ञान पद्धति को मुख्य रूप से नवोन्मेष की बात करती है, उसके लिए संस्कृत साहित्य ही एकमात्र विकल्प है।
साथ ही नई शिक्षा नीति के अंतर्गत विज्ञान वाणिज्य कला सभी विषयों के बच्चे संस्कृत पाठ्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। यूनिवर्सिटी में इस समय संस्कृत में स्नातक एवं स्नातकोत्तर में नामांकन हेतु प्रक्रिया चल रही है। इच्छुक छात्राएं अपने बेहतर भविष्य के लिए संस्कृत में नामांकन का सफल प्रयास कर सकती हैं।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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