राज्य के 13 जिलों में स्वायत्त परिषद के गठन का प्रावधान पेसा कानून में उपलब्ध
आदिवासी स्वशासन अधिकार मंच, झारखण्ड के तत्वाधान में आज पुराने विधानसभा परिसर में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में मंच के सदस्य, पारंपरिक व्यवस्था से जुड़े लोग तथा जन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला में प्रो रामचंद्र उरांव एवं प्रो वर्जिनियस खाखा ने रिसोर्स पर्सन के रूप में योगदान दिया। इन विशेषज्ञों ने पांचवीं अनुसूची, छठी अनुसूची, पेसा कानून तथा स्वायत्त जिला परिषद के बारे में प्रतिभागियों को विस्तार से जानकारी प्रदान की। यह स्पष्ट हुआ कि पांचवी और छठी अनुसूची के बीच कई सारे अंतर हैं। छठी अनुसूची के तहत स्थानीय स्तर पर जिलों को राज्य के समकक्ष दर्जा प्राप्त है तथा उनको विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की शक्तियां प्राप्त हैं। उनको विकास की नीति बनाने के अधिकार के साथ ही वित्तीय शक्तियां भी प्राप्त हैं।
पेसा कानून अनुसूचित जिलों को वैसी ही शक्ति प्राप्त करने का मार्ग प्रदान करता है। झारखंड में ऐसे 13 जिले हैं, जो पूर्ण रूप से अनुसूचित हैं। इन जिलों में स्वायत्त परिषद के गठन का प्रावधान पेसा कानून में उपलब्ध है तथा इसकी पूरी रूपरेखा भूरिया समिति के प्रतिवेदन में दर्ज है।
यहां भी पेसा की मूल भावना को तथा इसके महत्वपूर्ण अधिकारों को दरकिनार किया जा रहा
प्रस्तुति के उपरांत इन विषयों पर प्रतिभागियों ने चर्चा की। चर्चा में यह बात सामने आई कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पेसा कानून को बने 25 वर्ष बीत चुके हैं किंतु लोगों को उनके अधिकार नहीं मिल पाए हैं। अभी जबकि झारखंड में पेसा नियमावली बनने को है तो यहां भी पेसा की मूल भावना को तथा इसके महत्वपूर्ण अधिकारों को दरकिनार किया जा रहा। चर्चा के क्रम में यह बात निष्कर्ष के रूप में निकल कर सामने आई कि यदि जन दबाव न रहे तो लोगों को संवैधानिक और विधिक अधिकार भी प्राप्त नहीं होते है, अतः इस मुद्दे पर भी एक जनांदोलन जरूरी है।
इस कार्यक्रम में विधायक लोबिन हेंब्रम, विक्सल कोंगाड़ी तथा दीपक बीरूवा तथा पूर्व विधायक गीताश्री उरांव उपस्थित थीं। उन्होंने पंरपरागत व्यवस्था और जनमंच के प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि वे इस मुद्दे पर उनके साथ हैं। कार्यक्रम में भाग ले रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उपस्थित जनप्रतिनिधियों की संवेदनशीलता और जागरूकता की सराहना करते हुए कहा कि वे आशा करते हैं कि इस मुद्दे पर अन्य जनप्रतिनिधिगण भी सक्रियता तथा मुखरता के साथ सामने आयेंगे।
इस कार्यक्रम में सीरत कच्छप, एलिना होरो, सुषमा बिरुली, बिनीत मुंडू, संजीव भगत, पी एस सांगा सहित अन्य लोग शामिल थे।
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शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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