पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया में वन विभाग ने पर्यटन के नाम पर वह कारनामा कर दिखाया है जो वन माफिया भी नहीं कर सके। विभाग के अफसरों ने यहां इको पार्क बनाने के लिए 78 एकड़ में लगा बांस का पूरा जंगल ही साफ कर दिया और बांसों के बीच लगे यूकेलिप्टस व साल के करीब 500 पेड़ भी काट डाले। यह पार्क 14 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है, जो बढ़ सकती है। चाकुलिया से सटे अमलागोड़ा में बन रहे इस पार्क की बाउंड्री तैयार है और करीब 40 फीसदी हिस्से में पेवर्स ब्लॉक की सड़कों का जाल भी बुना जा चुका है। खास बात यह है कि यहां बांस का जंगल करीब 20 साल पहले वन विभाग ने ही लगाया था।
पार्क में बिखरे पड़े जले हुए ठूंठ व जड़े
वन विभाग ने बांस व पेड़ काट कर जेसीबी से उनकी जड़ें उखाड़ कर उन्हें जला दिया है ताकि पेड़ों की निशानी ही न रहे। फिर भी कई जगह जले हुए पेड़ों के ठूंठ व सैकड़ों बांसों की जड़ें वहां बिखरी पड़ी हैं। पार्क के पिछले हिस्से में बाउंड्री के भीतर अब भी बांस व साल के सैकड़ों पेड़ लगे हैं। इससे पता चलता है कि बाकी हिस्से में जंगल कैसा रहा होगा। दो साल पुरानी गूगल इमेज से भी इस बात की पुष्टी हो रही है। वहां काम कर रहे मजदूरों का कहना था कि उस हिस्से की सफाई अभी बाकी है। जाहिर है बचा हुआ जंगल भी काटे जाने की योजना है।
ग्रामीण बोले- ग्राम सभा से अनुमति भी नहीं ली
अमलागोड़ा के कोमल लोचन बेरा व शशांक शेखर बारिक ने बताया- यहां बांस का बहुत घना जंगल था। बीच-बीच में यूकेलिप्टस व साल के पेड़ थे लेकिन अब कुछ नहीं बचा। गांव के मुखिया अरुण बारिक का कहना था कि यह सही है कि वहां झाड़ीनुमा बांस का जंगल था जो वन विभाग ने ही लगाया था, लेकिन 2014 में हुई ग्राम सभा में वन विभाग से कहा गया था कि साल के पेड़ नहीं काटे जाएंगे। हालांकि अमलागोड़ा के वार्ड मेंबर प्रकाश माकुड़ सहित कई ग्रामीणों ने हमें बताया कि पार्क के लिए ग्राम सभा से कोई अनुमति नहीं ली गई।
उस जगह पर बांस के पेड़ नहीं थे। वहां पेड़ भी ज्यादा नहीं थे। ज्यादातर ठूंठ थे। बांस का जंगल काटने की बात गलत है।-रवि रंजन, आरसीसीएफ।
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