जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा की शनिवार को 119वीं जयंती है। टाटा ग्रुप आज इस जिस मुकाम पर है, उसमें जेआरडी टाटा की भूमिका अहम है। जेआरडी की दूरदर्शिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने देश में पहला कंप्यूटर बनाने में महती भूमिका निभाई।
टाटा साम्राज्य का विस्तार करते हुए उसकी परंपरा को तोड़कर बिजनेस में प्रोफेशनल को शामिल किया, जो आज दुनिया के लिए एक ब्रांड है। टीसीएस (टाटा कंप्यूटर सेंटर) जेआरडी की दूरदर्शी सोच का बड़ा उदाहरण है। यह आद टाटा ग्रुप की सबसे कमाऊ कंपनी है।
भारतीय उद्योग जगत के प्रणेता ने टाटा ग्रुप को बिजनेस फेडरेशन में बदला
जेआरडी इंडियन एविएशन इंडस्ट्री के जनक थे। उन्होंने ही एयर इंडिया की स्थापना की। जेआरडी लंबे समय तक टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रहे। कई प्रतिष्ठित कंपनियों के संस्थापक थे। 1938 में जेआरडी टाटा को ग्रुप में शीर्ष पद पर पदोन्नत किया गया। उस समय वे टाटा संस के निदेशक मंडल में सबसे कम उम्र के सदस्य थे।
1939 से 1984 तक निदेशक मंडल के चेयरमैन के रूप में टाटा स्टील का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व के अगले 50 वर्षों में टाटा ग्रुप ने केमिकल, ऑटोमोबाइल, एफएमसीजी और आईटी सेक्टर में विस्तार किया। अपने ही परिजनों द्वारा भारतीय व्यावसायिक प्रथा को तोड़ते हुए कंपनियों में प्रोफेशनल्स को लाने पर जोर दिया।
नेहरू ने नाम दिया था-टीआईएफआरएसी
जेआरडी दूरदर्शी दृष्टिकोण वाले थे। वे कंप्यूटर के महत्व को भी तुरंत पहचान गए थे। इसका संबंध देश के अग्रणी परमाणु भौतिकी वैज्ञानिक डॉ होमी भाभा के साथ उनके सहयोग से भी था, जिन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में भारत का पहला कंप्यूटर बनाया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस कंप्यूटर का नाम टीआईएफआरएसी (टाटा इंस्टीयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च एटॉमिक कैलकुलेटर) दिया था। भारत में पहले कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े थे, जो एक पूरे कमरे को घेरने वाले थे।
टाटा ग्रुप की कंपनियों में काम करना बेहद गर्व का विषय
1960 के दशक के अंत तक देश के बाकी हिस्सों को कंप्यूटर के प्रति जागरूक बनाने से एक दशक पहले जेआरडी के नेतृत्व में टाटा संस ने अपना स्वयं का सॉफ्टवेयर डिवीजन खोल लिया था। जमशेदपुर में उनके ग्रुप की कई कंपनियां चलती थीं जिनमें टेल्को और टिस्को प्रमुख थीं। इन कंपनियों में पूरे देश से लोग काम करने आते थे। उस समय भी टाटा ग्रुप की कंपनियों में काम करना बेहद गर्व का विषय था।
टीसीएस आज ग्रुप की सबसे कमाऊ कंपनी
जेआरडी ने अपने माइल स्टोन स्थापित किए, उनमें टीसीएस की स्थापना ऐतिहासिक उपलब्धि थी। यह 1960 के दशक के अंत में हुआ था जब कंप्यूटर को संदेह की दृष्टि से देखा जाता था। टीसीएस के शुरुआती अनुबंधों में से एक टाटा स्टील कर्मचारियों के लिए पंच-कार्ड सेवा की शुरुआत थी।
जेआरडी टाटा के भविष्य-केंद्रित दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए टाटा स्टील लगातार नई तकनीक को अपनाकर प्रौद्योगिकी अपनाने और निवेश में सबसे आगे बनी हुई है जो व्यावसायिक मूल्य को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कंपनी ने एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग प्लेटफॉर्म लागू किया है, जो एशिया में इस तरह के सबसे बड़े माइग्रेशन में से एक बन गया है। Source(Dainik Bhaskar)
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