कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में मरीजों को राहत नहीं मिल रही है। सरकारी व्यवस्था ऐसी है कि मरीजों को महंगी दवा से लेकर हर जरूरी सामान खुद खरीद कर लाना पड़ रहा है। अस्पताल के आर्थो विभाग में हर दिन औसतन 8-10 छोटे-बड़े ऑपरेशन होते हैं।
मरीजों को सस्ती दवाई तो मिलती है पर महंगी दवाई व ऑपरेशन में लगाए जाने वाले प्लेट, रॉड, तार आदि खुद खरीदकर लाना पड़ता है। यह खर्च 10 से 20 हजार तक पड़ रहा है। आम मरीजों को प्लेट, रॉड-तार कहां मिलेगा, इसकी जानकारी नहीं होती है। इसी बात का लाभ उठाकर अस्पताल के कर्मचारी अपनी पहचान वाली दुकान से खरीदारी करवाकर कमाई कर रहे हैं।
मरीजों को कमीशन देकर सामान की खरीदारी करनी पड़ रही है। हालांकि आयुष्मान कार्ड धारकों को दवा व सामान अस्पताल प्रबंधन खुद खरीदारी कर लगवाता है। क्योंकि लाभार्थियों के इलाज का खर्च बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किया जाता है।
एमजीएम में कोल्हान के गरीब व आम लोग ही इलाज के लिए आते हैं। 1 जून से 25 जुलाई तक अस्पताल में कुल 113 आॅपरेशन हुए, जिन्हें प्लेट, रॉड, तार आदि लगाने की जरूरत पड़ी है। इनमें 72 मरीजों को खरीदकर रॉड, प्लेट लगवाना पड़ा है।
आयुष्मान कार्ड धारियों को आॅपरेशन के दौरान लगने वाले सभी सामान व दवा अस्पताल की ओर से दी जाती है। लेकिन जिनके पास कार्ड नहीं होता है उन्हें डॉक्टर लिखकर देते हैं और परिजनों को खुद खरीदकर लाना होता है।
अस्पताल का कोई कर्मचारी सामान की खरीदारी में गड़बड़ी करता है तो ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। वैसे एक ही विभाग में वर्षों से जमे सभी कर्मचारियों का विभाग जल्द बदला जाएगा। –डॉ रवींद्र कुमार, अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल।
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