अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिन्यान ने चेतावनी दी है, कि अज़रबैजान के साथ युद्ध छिड़ने की संभावना काफी बढ़ गई है। विवादित नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में अज़रबैजान पर “नरसंहार” का आरोप लगाते हुए, पशिन्यान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, कि “जब तक शांति संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं, और दोनों देशों की संसदों द्वारा ऐसी संधि की पुष्टि नहीं की गई है, निश्चित रूप से उस वक्त तक (अज़रबैजान के साथ) एक (नया) युद्ध होने की बहुत संभावना है।”
दोनों देशों के बीच का तनाव एक बार फिर से बढ़ गया है और काकेशस में एक बार फिर जंग की आशंका काफी बढ़ गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, अजरबैजान ने नागोर्नो-काराबाख की नाकेबंदी कर दी है और तनाव काफी ज्यादा बढ़ गया है। वहीं, अभी तक रूस की मध्यस्थता से बार बार युद्ध टल रहा था, लेकिन यूक्रेन युद्ध में फंसा रूस फिलहाल मध्यस्थता के हालात में नहीं है। साल 2020 का कराबाख का युद्ध, जिसके बारे में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है, कि उस युद्ध को अज़रबैजान ने शुरू किया था,
आर्मेनिया ने 1990 के दशक से अपने कब्जे वाले ज्यादातर क्षेत्रों को बाकू को सौंप दिया था। लेकिन, मॉस्को द्वारा शांति समझौते की मध्यस्थता के बाद संघर्ष समाप्त हो गया और समझौते के हिस्से के रूप में, रूस ने क्षेत्र में लगभग 2,000 शांति सैनिकों को तैनात किया था। मॉस्को का येरेवन के साथ पहले से मौजूद समझौता भी है, जिसमें कहा गया है, कि अगर आर्मीनिया पर हमला किया जाता है, तो रूस उसे सैन्य सुरक्षा प्रदान करेगा। हालांकि, इस समझौते में नागोर्नो-काराबाख शामिल नहीं है, जहां फिलहाल अजरबैजान ने नाकेबंदी कर दी है।
यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से ही, अलग-थलग पड़ा रूस अजरबैजान के साथ किसी संघर्ष में पड़ने के मूड में नहीं है, जबकि अजरबैजान बार बार युद्धविराम का उल्लंघन कर रहा है, जबकि रूस किसी टकराव से बचने की कोशिश कर रहा है। सितंबर 2022 में, अज़रबैजान ने उस वक्त आर्मीनियाई शहरों पर हमला किया था, जब रूस ने अपने कुछ सैनिकों को कराबाख से यूक्रेन में ट्रांसफर कर दिया था।
वहीं, अजरबैजान के इस हमले को लेकर सबसे खास बात ये थी, कि आर्मीनिया पर हमला होने के बाद भी रूस ने कुछ नहीं कहा। दूसरी तरफ, अपने शक्तिशाली नाटो सहयोगी तुर्की के समर्थन से, अज़रबैजान तेजी से युद्धविराम का उल्लंघन कर रहा है और काराबाख में अर्मेनियाई ठिकानों पर हमला कर रहा है। अर्मीनिया ने अज़ेरी तनाव को रोकने में “नाकाम” होने के लिए बार-बार रूसी सैनिकों की आलोचना की है।
अजरबैजान ने विवादित काराबाख क्षेत्र, जो आर्मीनिया का है, उस शहर की नाकेबंदी कर दी है। आर्मेनिया-अज़रबैजान तनाव के केंद्र में एक और मुद्दा लाचिन कॉरिडोर की चल रही नाकाबंदी है, जो कराबाख और आर्मेनिया के बीच एकमात्र जमीन का रास्ता है। दिसंबर 2022 से, तथाकथित ‘इको-एक्टिविस्ट्स’ का एक समूह “अवैध खनन” के विरोध में अजरबैजान इस गलियारे की नाकेबंदी कर रहा है।
आर्मीनिया ने अज़रबैजान सरकार पर प्रदर्शनों को “आयोजित” करने का आरोप लगाया है, वहीं आर्मीनिया का कहना है, कि येरेवन पर नागोर्नो-काराबाख के जरिए अवैध खनन का सामानों को ले जाया जा रहा है और ये अजरबैजान कर रहा है। अजरबैजान की नाकाबंदी ने एन्क्लेव में मानवीय संकट पैदा कर दिया है और निवासियों को भोजन और दवा की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि रास्ता बंद होने के कारण आर्मीनिया से आपूर्ति रुक गई है।
इसमें कोई शक नहीं है, कि युद्ध टालने के लिए नाकाबंदी खत्म होनी चाहिए, लेकिन अगर नाकंबंदी को लेकर अजरबैजान अड़ा रहा, तो युद्ध कभी भी छिड़ सकता है और दुनिया इस वक्त एक और युद्ध में फंसने की स्थिति में नहीं है।
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