कभी तस्वीरें खुशियों को समेट खामोशी से ऐल्बम में कैद हो जाती थीं। कभी कभार हमारे इशारे पर जब वो निकलती थीं तो कुछ पलों का सुकून दे जाती थीं। ये वो दौर था, जब कैमरे शख्स की खूबसूरती नहीं, उस पल की यादें सहेजते थे और तस्वीरें खिंचवाने वालों के दिमाग पर भी खूबसूरत और यूनीक दिखने का भूत नहीं सवार होता था।
आज के दौर में कैमरे चेहरे को खूबसूरत दिखाने के फिल्टर्स से लैस हैं और लोगों का दिमाग खुद को अलग दिखाने के उतावलेपन से। तरह-तरह के सोशल मीडिया ऐप्स की दीवारों पर सजी तस्वीरें खुशियों से ज्यादा सनक दिखाती हैं और सच से ज्यादा झूठ। खुद को अलग पेश करने की सोशल मीडिया ऐप्स की इस दौड़ में लोग बिना गिरे बस जीतने की ख्वाहिश रखते हैं। इस चक्कर में वे बाहर से भले खुद को कितना भी अच्छा दिखा लें लेकिन उनका दिमाग इसके साइड इफेक्ट्स को झेल रहा है।
यूके की रॉयल सोसायटी फॉर पब्लिक हेल्थ की हालिया रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि सोशल मीडिया ऐप्स मेंटल हेल्थ के लिए नुकसानदायक हैं। इनमें इंस्टाग्राम का नाम सबसे ऊपर है। इस वजह से लोगों में खासकर यंग जेनरेशन में बॉडी इमेज और बॉडी कॉन्फिडेंस को लेकर डिप्रेशन देखा जा रहा है।
बॉडी शेमिंग और इंसिक्यॉरिटी बढ़ी
एजेंसी ने वर्ल्डवाइड 14 से 24 साल की उम्र के करीब 1500 लोगों पर रिसर्च की। उन्होंने लोगों से फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर और स्नैपचैट जैसी सोशल साइट्स से रिलेटेड 14 सवाल पूछे। इस रिसर्च में यह बात सामने आई कि लोगों को इन ऐप्स को यूज करते रहने से बेचैनी, डिप्रेशन और अकेलापन जैसी परेशानियां होती हैं।
वैसे तो इन सभी ऐप्स के साथ लोगों को ये परेशानियां फेस करनी पड़ती हैं। इस सबमें इंस्टाग्राम का नाम सबसे ऊपर है। इंस्टाग्राम की वजह से लड़कियों और महिलाओं में बॉडी शेमिंग और इंसिक्योरिटी की फीलिंग्स बढ़ी है। लोग परफेक्ट दिखने के लिए फिल्टर और एडिटिंग टूल्स का सहारा लेने लगे हैं। ऐसे में कई लड़कियों और महिलाओं को लगता है कि उनकी बॉडी बाकी लोगों जितनी परफेक्ट नहीं है। इस वजह से उनमें बॉडी कॉन्फिडेंस को लेकर डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
बढ़ता है डिप्रेशन
अब सोशल मीडिया पर तस्वीरों को लेकर काफी कॉम्पिटिशन बढ़ गया है। लड़के-लड़कियां सभी सोशल साइट्स पर खुद को खूबसूरत दिखाना चाहते हैं। इंस्टाग्राम ने इस क्रेजीनेस को और भी बढ़ा दिया है। हालांकि, आलम लड़कों का भी वैसा ही है, लेकिन लड़कियों के लिए ऐप में फिल्टर्स और एडिटिंग टूल्स के ऑप्शन ज्यादा होने से वो अपनी पिक्स को और भी अट्रैक्टिव बना सकती हैं।
कभी-कभी यह पागलपन हमारे लिए डिप्रेशन या कॉम्प्लेक्स जैसी परेशानियां भी लेकर आता है। हम यह भी कंपेयर करते हैं कि हमारी लेटेस्ट फोटो पर पिछली फोटो से कितने लाइक्स ज्यादा आए हैं। यह हमारी सोच पर असर डालता है। कई बार अपनी घटती पॉपुलैरिटी देखकर ज्यादातर लोग कुछ देर के लिए ही सही पर डिप्रेस जरूर फील करते हैं।
खूबसूरत दिखने की चाहत करती है परेशान
इंस्टाग्राम को लेकर इस तरह की परेशानी सिर्फ यंग गर्ल्स में ही नहीं बल्कि 30 से 40 साल के बीच की महिलाओं में भी देखने को मिलती है। यह परेशानी लड़कियों और महिलाओं में ज्यादा इसलिए देखने को मिलती है क्योंकि वे अपने बॉडी शेप और खूबसूरती को लेकर ज्यादा सजग रहती हैं। इंस्टाग्राम पर भी फीमेल्स के लिए फिल्टर्स और एडिटिंग के ऑप्शन मेल्स से ज्यादा हैं। इन टूल्स के जरिये फीमेल्स की फोटो सोशल साइट्स पर तो खूबसूरत नजर आती हैं लेकिन वर्चुअल और रियल लाइफ में डिफरेंस उन्हें धीरे-धीरे डिप्रेशन, बेचैनी और अकेलेपन की तरफ ले जाता है।
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