जिला के अस्पतालों से 21 दिन बाद जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र का आवेदन करने वालों पर एक रुपया जुर्माना लगेगा, जबकि, 30 दिन बाद किसी को भी अस्पताल से जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा। जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर सरकार का नियम अस्पतालों के साथ प्रसव सुविधा वाले स्वास्थ्य केंद्रों पर भी लागू होगा।इससे उपायुक्त विजया जाधव ने अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों में जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र नियम का बोर्ड लगाने का आदेश दिया है, ताकि लोग जागरूक हों। क्योंकि 30 दिन में अस्पताल से जन्म व मृत्यु प्रमाण नहीं लेने वालों को बेवजह परेशान होना पड़ता है। उन्हें शपथपत्र के एक साथ एक महीने बाद बीडीओ और उसके बाद एसडीओ के यहां आवेदन करना होता है।
एक महीने चलेगा अभियान
जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र के नियम से ज्यादातर ग्रामीण अनभिज्ञ हैं। इससे बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराने के समय जन्म प्रमाण पत्र बनवाने जाते हैं। इससे सांख्यिकी विभाग से छूटे बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनाने, जन्म एवं मृत्यु का रजिस्ट्रेशन करने समेत लोगों को जागरूक करने का अभियान 14 जुलाई से 14 अगस्त तक चलाने का आदेश हुआ है, जो सांख्यिकी, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, शिक्षा व पंचायती राज विभाग को करना है।
जिले में 41 सौ बच्चों का हर महीने होता है जन्म
सिविल सर्जन डॉ. जुझार माझी के अनुसार जिले में हर महीने 41 सौ से ज्यादा बच्चों का जन्म होता है, लेकिन कोरोना लॉकडाउन के दौरान जन्मे ज्यादातर बच्चों का जन्म रजिस्ट्रेशन नहीं होने की सूचना है। इससे अभियान के दौरान जमशेदपुर शहरी एवं ग्रामीण प्रखंड क्षेत्र में ऐसे सभी बच्चों को चिह्नित कर उनका जन्म प्रमाणपत्र बनाने का लक्ष्य है। मालूम हो कि नगर निकाय द्वारा भी अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों को जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र उपलब्ध कराया जाता है।
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