वित्त वर्ष 2022-23 यानी असेसमेंट ईयर 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 31 जुलाई, 2023 है. ज्यादातर कंपनियां अपने एंप्लॉयीज को फॉर्म 16 जारी भी कर चुकी हैं. जिन्हें नहीं मिला है उन्हें भी जल्द ही फॉर्म 16 जारी कर दिया जाएगा. वैसे तो इनकम टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान हो चुकी है और इसे घर बैठे खुद भी भरा जा सकता है, लेकिन जो लोग पहली बार ITR भर रहे हैं उनके लिए यह काम दिमाग खपाने वाला हो सकता है. अगर आप भी पहली बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर रहे हैं तो आइए जानते हैं इसके लिए कौन-कौन सी चीजें आपके पास होनी चाहिए.
सबसे पहले इंडिविजुअल्स को ये निकालना चाहिए कि उनकी कितनी कमाई पर टैक्स देनदारी बन रही है. कुल कमाई (सैलरी+अन्य जरियों से हुई कमाई) में से टैक्स छूट घटाकर आप टैक्स योग्य रकम निकाल सकते हैं. नौकरी जॉइन करते ही एचआर आपसे टैक्स रिजीम का चुनाव करने को कहेगा. नौकरी में सालों का अनुभव रखने वाले लोगों को तो मालूम होता है कि उन्हें कौन सा टैक्स रिजीम लेना है. मगर पहली बार नौकरी करने वाले लोग अक्सर संशय में आ जाते हैं. इसलिए नए और पुराने टैक्स रिजीम में अंतर समझना जरूरी है. पुराने टैक्स रिजीम में एंप्लॉयी को टैक्स छूट और टैक्स बेनेफिट मिलते हैं. वहीं, नए टैक्स रिजीम में टैक्स छूट और टैक्स बेनेफिट जैसा कोई प्रावधान नहीं है. दूसरे टैक्स रिजीम वालों के लिए सरकार ने सीधे टैक्स रेट घटा दिया है.
इस समय कई ऐसे ऑनलाइन टैक्स कैलकुलेटर उपलब्ध हैं, जिनके जरिए पता लगाया जा सकता है कि किस टैक्स रिजीम में ज्यादा फायदा मिलेगा. जिस टैक्स रिजीम में कम टैक्स लग रहा हो सैलरी पाने वाले एंप्लॉयी उसे चुन सकते हैं. मान लेते हैं एंप्लॉयी एचआर को अपनी पसंद के टैक्स रिजीम की जानकारी नहीं दे पाया. ऐसे लोंगो के लिए ऑटोमैटिक दूसरा टैक्स रिजीम चुन लिया जाता है. ऐसे एंप्लॉयी को भी ईपीएफ, पीपीएफ और लाइफ इंश्योरेंस में निवेश तो जरूर करना चाहिए.
कंपनियां हर महीने टैक्स के पैसे काटकर एंप्लॉयी को सैलरी भेजती हैं. सैलरी से कितना टैक्स काटा है इसका ब्योरा एक फॉर्म के जरिए एंप्लॉयी को दिया जाता है. इस फॉर्म को फॉर्म 16 कहते हैं. आपने किस प्रावधान के तहत कितनी टैक्स छूट ली है, कितनी सैलरी दी गई है और कितना टैक्स भरा गया है इन सभी चीजों की जानकारी फॉर्म 16 में दी होती है.
फॉर्म 16 के बाद एक और जरूरी फॉर्म होता है- फॉर्म26S. इसमें आयकर विभाग हर इंडिविजुअल की कुल कमाई का ब्योरा देता है. आप सोचेंगे कि हमारी कुल कितनी कमाई हुई ये तो हम खुद ही निकाल सकते हैं. फिर आयकर विभाग को ये बताने की क्या जरूरत? दरअसल दिक्कत ये आती है कि कई बार लोग कुल कमाई निकालते समय सिर्फ सैलरी वाली इनकम को ही गिनते हैं और इनवेस्टमेंट या बिजनेस से हुई कमाई को गिनना भूल जाते हैं. कई लोग तो जानबूझकर कमाई कम बताते हैं ताकि टैक्स ना देना पड़े.
लेकिन फॉर्म26S के जरिए आयकर विभाग ये इशारा भी दे देता है कि उसके पास आपकी सारी कमाई का ब्योरा है. इसलिए कमाई छिपाने के बारे में ना सोचें. कमाई का कैलकुशन गलत हुआ तो टैक्स की रकम गलत निकलेगी और कम टैक्स देने पर आयकर विभाग पेनल्टी लगा सकता है. इसलिए बेहतर होगा कि टैक्स निकालने में कोई गलती ना की जाए और इसमें काम आएगा फॉर्म26S. जितनी बार कंपनी सैलरी से टैक्स काटती है उतनी बार ये फॉर्म अपडेट होता है. फॉर्म26S को आयकर विभाग की साइट से डाउनलोड किया जा सकता है. फॉर्म16 और फॉर्म26S में दी गई जानकारियों का मिलान कर लें. जैसे नाम, पता और नंबर वगैरह.
एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में किसी इंडिविजुअल की साल भर में हुई कुल कमाई का ब्योरा दिया होता है. जैसे- ब्याज से लेकर डिविडेंड, सिक्योरिटीज से जुड़े ट्रांजैक्शन, म्यूचुअल फंड ट्रांजैक्शन, विदेश में भेजे गए पैसे वगैरह. इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय टैक्सपेयर्स के पास ‘प्रीफिल’ ऑप्शन आता है. इसे चुनने पर फॉर्म में कुछ जानकारियां पहले से भरकर आती हैं. ये जानकारी AIS से ही ली जाती हैं. इसलिए AIS में दी गई जानकारी को अच्छे से देख लें कि उसमें कोई खामी तो नहीं है. वरना टैक्स भरते समय दिक्कत आ सकती है.
सही ITR फॉर्म चुनना जरूरी है
ITR-1: ऐसे भारतीय नागरिक जो सैलरी, एक प्रॉपर्टी और कमाई के अन्य जरियों से हर सा 50 लाख तक की कमाई करते हैं उन्हें ITR-1 भरना चाहिए.
ITR-2: ऐसे लोग जो रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी से या सैलरी से 50 लाख रुपये से ऊपर कमाई करते हैं उनके लिए ITR-2 होता है.
ITR-3: प्रोफेशनल्स के लिए होता है.
ITR-4: किसी बिजनेस या प्रोफेशन के जरिए 50 लाख रुपये तक की कमाई करने वाले इंडिविजुअल्स, हिंदू यूनिफाइड फैमिली (HUF) या कंपनियों के लिए होता है.
जरूरी डॉक्यूमेंट की लिस्ट
बैंक अकाउंट डिटेल्स.
पैन कार्ड.
आधार कार्ड.
सैलरीड एंप्लॉयी के लिए फॉर्म 16.
इनवेस्टमेंट प्रूफ.
होम लोन इवेस्टमेंट प्रूफ.
इंश्योरेंस प्रीमियम पेमेंट रसीद.
टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर आपने ITR फाइल नहीं किया तो हर महीने टैक्स भरने के बाद भी पेनल्टी देनी पड़ सकती है. यह पेनल्टी 5,000 रुपये तक हो सकती है. इसके अलावा अगर आप किसी लोन के लिए अप्लाई कर रहे हैं, या प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं या विदेश जा रहे हैं या कोई बड़ा इंश्योरेंस कवर खरीद रहेे हैं तो भी आपसे ITR मांगा जा सकता है. इसलिए बेहतर होगा कि हर साल ITR जरूर फाइल करें. हर वित्त वर्ष की 31 जुलाई ITR भरने की आखिरी तारीख होती है. इसके बाद टैक्स भरने पर पेनल्टी देनी पड़ सकती है.
ITR भरने भर से आपका काम पूरा नहीं हो जाता. आईटीआर फाइल करने के बाद जो इनकम टैक्स रिटर्न आ रहा है वो देख लें कि सही है या नहीं. रिटर्न का ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से मिलान किया जा सकता है. आधार के जरिए ओटीपी मंगा कर ऑनलाइन रिटर्न चेक कर सकते हैं. ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से वेरिफिकेशन करने पर आईटी डिपार्टमेंट मेल पर वेरिफिकेशन कन्फर्म करने के लिए मेल भेजता है. ऑफलाइन वेरिफिकेशन के लिए टैक्सपेयर ITR कॉपी साइन करके CPC, बैंगलोर को भिजवाना होगा. ऑफलाइन या ऑनलाइन दोनों तरीकों से वेरिफिकेशन के लिए आयकर विभाग ने समय सीमा तय की है. रिटर्न फाइल करने के 30 दिनों के अंदर रिटर्न वेरिफाई कर लेना होगा.
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!