करीब तीन दशकों से अस्थायी सब्ज़ी दुकान लगाकर अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे दुकानदार और उनके परिजन आज भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं।
विदित हो कि अभी लगभग दो माह पहले मानगो डिमनारोड सेंट्रल वर्ज गुलज़ार था जहाँ सब्ज़ी मंडी सजती थी और मानगो वासी यहाँ से बड़ी आसानी से सब्ज़ी खरीद कर अपनी ज़रूरत पूरी कर लेते थे परन्तु जिला प्रशासन और निगम प्रशासन द्वारा इन दुकानों को बल पूर्वक तोड़ दिया गया। तब से ये गरीब सब्ज़ी विक्रेता दर दर की ठोकरें खा रहे हैं।
मानगो के तीन दशक पुराने भौगोलिक स्थिति पर नज़र डालनी होगी
दरअसल इस सब्ज़ी बाज़ार की हकीकत समझने के लिए मानगो के तीन दशक पुराने भौगोलिक स्थिति पर नज़र डालनी होगी। तब डिमनारोड सिंगल था और उसी से आवाजाही होती थी। ठीक उसके बगल का बड़ा सा भूखण्ड में अस्थायी दुकानें लगती थीं। बाद के दिनों में डिमनारोड डबल बनाने की आवश्यकता महसूस हुई और दुकानों को तोड़ने की कोशिश होती रही परन्तु बिरसा मुण्डा सब्ज़ी विक्रेता संघ के बैनर तले इन गरीबों का संघर्ष जारी रहा।
इस संघर्ष को तब नया आयाम मिला जब संघ के तत्कालीन अध्यक्ष ओंकार नाथ सिंह ने बीच का रास्ता अपनाते हुए डिमनारोड डबल कराने में सहयोग किया और सब्ज़ी विक्रेताओं को सेन्ट्रल वर्ज में समायोजित कराया। इतना ही नहीं, तत्कालीन नगर विकास मंत्री माननीय रघुवर दास जी के सहयोग से पुल के दोनों तरफ इन सब्ज़ी विक्रेताओं के लिए एक सौ छब्बीस स्थाई दुकानों का निर्माण करवाया।
बाद में इस आंदोलन में कुछ अवांछित लोग घुस गए और हस्तक्षेप करने लगे।कुछ अन्य कारण, जैसे दुकानों का निर्धारित मापदंड के अनुसार नहीं बनना तथा अक्षेस के द्वारा भारी भरकम राशि पगड़ी के रूप में लिया जाने लगा और किराए की राशि भी वाजिब नहीं थी।इस कारण से सब्ज़ी विक्रेताओं का पुनर्वास नहीं हो पाया।
दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया और ये सड़क पर आ गए
कालांतर में सत्ता परिवर्तन के साथ इस आंदोलन का नियंत्रण विभिन्न हाथों में जाता रहा और ये सब्ज़ी विक्रेता मायाजाल में फंसते चले गए। परिणाम सबके सामने है। दुकानों को ध्वस्त कर दिया गया और ये सड़क पर आ गए।
इधर दुकानें टूटने के बाद सत्ता का सहयोग पाकर अवांछित लोग पुनः सक्रिय हो गए और मनचाहे ढंग से चहेते लोगों के बीच पहले से बनी दुकानों की बंदरबांट कर दी गई। जो वास्तविक सब्ज़ी विक्रेता थे वे दरकिनार कर दिए गए और और आयातित छुटभैये सक्रिय होकर चार चार दुकानें नानी, मौसी, फूफा के नाम पर हड़प ले गए।
मानगो विकास समिति के अध्यक्ष ओंकार नाथ सिंह ने इसपर सवाल उठाते हुए निगम और जिला प्रशासन से जांच की मांग की है। उन्होंने सब्ज़ी विक्रेताओं की पुरानी सूची निकालने और उससे मिलान करने के बाद ही सही व्यक्तियों की पहचान कर दुकानें आबंटित करने की प्रार्थना भी उपायुक्त महोदया (पूर्वी सिंहभूम) से की है तथा आबंटन के पूर्व इन दुकानों तक पहुँच पथ बनाने की पुरानी मांग दुहराई है।
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