यह नारा झारखंड के विद्यार्थियों में एक ऊर्जा को पैदा करता है
“60-40 नाय चलतो” इन दिनों यह नारा झारखंड में बहुत ही ज़ोर-शोर से दिया जा रहा है। झारखंड के विद्यार्थियों के द्वारा कभी राष्ट्रीय राजमार्ग बन्द किया जाता है और कभी विधानसभा भवन का घेराव किया जाता है। बहरहाल अगर ज़मीनी स्तर पर देखा जाए तो “60-40 नाय चलतो” का नारा झारखंड के विद्यार्थियों में एक ऊर्जा को पैदा करता है। झारखंड में लंबे समय के बाद कोई ऐसा आंदोलन चल रहा है, जिसे विद्यार्थियों के द्वारा संचालित किया जा रहा है और विद्यार्थी अपनी मांगों को लेकर इस आंदोलन के साथ सरकार के समक्ष डटे हुए हैं।
“60-40 नाय चलतो” ट्विटर पर ट्रेंड भी कर रहा है
यही नहीं, अगर हम इन दिनों सोशल मीडिया पर भी अपनी नज़र दौडाएं तो पाते हैं कि “60-40 नाय चलतो” ट्विटर पर ट्रेंड भी कर रहा है। आपको बता दें कि यह आंदोलन झारखंड राज्य छात्र संघ के बैनर तले चल रहा है। फ़िलहाल हम आगे चलते हैं और इस 60-40 के प्रकरण को समझते हैं।
कैबिनेट में पारित भी कर दिया है, लेकिन..
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार राज्य में नियुक्तियों लेकर नई नियोजन नीति लेकर आई है, जिसे हम सब इन दिनों सामान्य भाषा में 60-40 के नाम से जानते हैं। हेमंत सरकार ने इस 60-40 नियोजन नीति को झारखंड की कैबिनेट में पारित भी कर दिया है, लेकिन इस नियोजन नीति को अभी तक सरकार ने झारखंड विधानसभा में पेश नहीं किया है और न ही इस नियोजन नीति का सरकार ने गज़ट पत्र बनाया है।
नई नियोजन नीति को 60-40 इसलिए कहा जा रहा है..
झारखंड की इस नई नियोजन नीति को 60-40 इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि इसमें 60 का अर्थ है कि 60 प्रतिशत सीटों पर नियुक्तियाँ झारखंड के आरक्षित वर्ग से होगी। वहीं 40 प्रतिशत राज्य की नियुक्तियों में दूसरे राज्यों के विद्यार्थी आवेदन कर सकेंगे, जिसे सरल भाषा में “ओपन टू ऑल” कहा जाता है।
40 फ़ीसदी बाहरी नियुक्ति बहुत बड़ी संख्या है
झारखंड में आंदोलन कर रहे विद्यार्थियों का कहना है, “60 फीसदी सिर्फ़ झारखंडियों की नियुक्ति हमें मंज़ूर नहीं है। यह बहुत अन्याय है झारखंड के मूलवासियों के साथ।“ उनका यह भी कहना है कि 40 फ़ीसदी बाहरी नियुक्ति से भारी संख्या में लोग झारखंड आएँगे और यहाँ नौकरी लेकर यहीं बस जाएँगे, जिससे झारखंड में आदिवासी व मूलवासी को खतरा है। 40 फ़ीसदी बाहरी नियुक्ति बहुत बड़ी संख्या है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और इसे बदलना चाहिए।
झारखंड में बिहार के जैसी ही नियोजन नीति लागू करने की मांग
60-40 को लेकर आन्दोलन कर रहे विद्यार्थियों की मांग है कि झारखंड में बिहार के जैसी ही नियोजन नीति लागू की जानी चाहिए। उनका कहना है कि बिहार पुनर्गठन 2000 की उपधारा 85 के अनुसार झारखंड सरकार को अधिकार है कि वह संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अध्यादेश, गज़ट संकल्प को अंगीकृत कर सकती है। इसी अधिकार के अनुसार बिहार की 3 मार्च 1982 वाली नियोजन नीति, जिसका पत्रांक 5014/81-806 है, को अंगीकृत कर बिहार की तरह नियोजन नीति को लागू कर झारखंड सरकार नियुक्तियाँ करे।
मूलवासियों को उम्र सीमा में 5 वर्ष की छूट दी जाय
वहीं नियुक्ति फ़ॉर्म में स्थानीय प्रमाण पत्र क्रमांक को भरना अनिवार्य किया जाय। एक स्पेशल पेपर का प्रावधान किया जाए, जिसमें झारखंडी रीति-रिवाज, भाषा, संस्कृति, परम्परा को अनिवार्य किया जाए एवं राज्य और जिला स्तर पर सभी तकनीकी और गैर-तकनीकी परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा का पेपर अनिवार्य हो। वहीं मूलवासियों को उम्र सीमा में 5 वर्ष की छूट दी जाए और परीक्षा में उत्तराखंड की तरह नकल विरोधी कानून लागू हो।
झारखंड के विद्यार्थियों का यह भी कहना है कि झारखंड में 3 लाख से अधिक पद खाली हैं और सरकार राज्य में नियुक्तियों में देरी कर रही है और विद्यार्थियों के हित में नियोजित नीति नहीं ला रही है।
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ऋषभ राहुल का आलेख
(लेखक मास कॉम के छात्र हैं और मशाल न्यूज़ के इंटर्न)
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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