ओडिशा में बहनागा हाई स्कूल के छात्र अपनी कक्षाओं में वापस आने से डर रहे हैं। इस स्कूल में रेल हादसे के बाद शव रखे गए थे। बालासोर में दो जून को हुए रेल हादसे में 288 यात्रियों की मौत हुई थी। इस दुर्घटना के तुरंत बाद, 65 साल पुराने इस स्कूल भवन में शवों को रखा गया था। स्कूल प्रबंधन समिति (एसएमसी) ने राज्य सरकार से इमारत को गिराने की गुहार लगाई है, क्योंकि यह बहुत पुरानी है। स्कूल की प्रिंसिपल प्रमिला स्वैन ने कहा कि स्कूल ने धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने और कुछ अनुष्ठान करने की योजना बनाई है।
उन्होंने कहा कि स्कूल के कुछ वरिष्ठ छात्र और एनसीसी कैडेट भी बचाव कार्य में शामिल हुए थे। बालासोर के डीएम दत्तात्रय भाऊसाहेब शिंदे ने कहा कि स्कूल प्रबंधन समिति पुरानी इमारत को तोड़कर उसका जीर्णोद्धार करना चाहते हैं जिससे बच्चों को कक्षाओं में जाने में कोई डर या आशंका न हो। एसएमसी के एक सदस्य ने जिलाधिकारी को बताया कि स्कूल की इमारत में पड़े शवों को टेलीविजन चैनलों पर देखने के बाद, बच्चे प्रभावित हुए हैं और 16 जून को फिर से स्कूल खुलने पर वे आने से कतरा रहे हैं।
ओडिशा के बालासोर में ट्रेन हादसा हुआ था। बहनागा के सरकारी स्कूल को अस्थाई मुर्दाघर में बदल दिया गया। यहां शवों को रखा गया। अब स्थानीय लोग इस सरकारी स्कूल को तोड़कर नया बनाने की मांग कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि स्कूल से आवाजें आती सुनी तो कोई कटी लाशों के भूतों को देखने का दावा कर रहा है। मिटा दिए गए हैं निशान लेकिन…छात्रों और शिक्षकों ने स्कूल में आने से इनकार कर दिया है।
स्कूल में सफाई कर दी गई है। खून के निशान मिटा दिए गए हैं लेकिन त्रासदी का इतना असर लोगों के दिमाग में हुआ है कि वे इसे भूतिया बताने लगे हैं। एक शख्स ने कहा कि भले ही दीवारों और फर्श पर लगे खून के निशान मिटा दिए गए हों लेकिन लोगों के दिमाग और दिल में जो निशान हैं वह आसानी से नहीं साफ होंगे। अंधविश्वास न फैलाने की अपीलबालासोर के कलेक्टर दत्तात्रेय भाऊसाहेब शिंदे ने स्कूल के दौरे के दौरान सभी से भय और अंधविश्वास नहीं फैलाने की अपील की, सुझाव दिया कि इसके बजाय युवा, प्रभावशाली दिमागों में वैज्ञानिक सोच पैदा करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
स्कूल और जन शिक्षा सचिव एस अश्वथी ने कहा कि अधिकारियों की एक टीम स्कूल पहुंची। माता-पिता और शिक्षकों के एक वर्ग की उठाई जा रही चिंताओं को सुना। उन्होंने कहा कि हम अपने अधिकारियों और स्कूल की प्रबंधन समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जिसके आधार पर सरकार निर्णय लेगी।
‘लोगों ने देखे ऐसे दृश्य जो मिटा पाना आसान नहीं’प्रधानाध्यापिका प्रमिला स्वैन ने कहा कि बहानागा और आस-पास के गांवों के लोगों ने ऐसे दृश्य देखे जो उन्हें लंबे समय तक परेशान करेंगे। युवा दिमाग पर प्रभाव और भी अधिक है। कटी और क्षत-विक्षत लाशें लोगों के दिमाग में घर कर गई हैं। अफवाहें शुरू हुईंइलाके की स्थिति यह हो गई है कि यहां अफवाहें फैलने लगी हैं। गांव के एक शख्स ने कहा कि उसने रात को स्कूल में एक सिर कटी लाश को चलते देखा।
वहीं बच्चों ने भी जिस तरह कटी लाशें देखी हैं उनके दिमाग में यह सीन घर कर गया है। लोग अफवाहों और अंधविश्वास में घिर गए हैं।स्कूल में बता रहे भूतगांव के लोगों ने कहा कि वे अपने बच्चों को किसी भी हालत में उस स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं भेजेंगे। वहीं कुछ बच्चों का कहना है कि वे स्कूल में पढ़ने नहीं जाना चाहते हैं, क्योंकि वहां भूत हैं।
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